शकील कुरैशी : शिमला
हिमाचल सरकार की एजेंसी हिमुडा लगभग 10 साल से हिमाचली लोगों के पैसे पर कुंडली मारकर बैठी है। प्लॉट देने के नाम पर जो पैसा हिमुडा ने लोगों से लिया उसे अब तक वापस नहीं किया गया है। ऐसे में लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार 56,460 लोग ऐसे हैं जिनसे प्लॉट देने के नाम पर पैसे लिए मगर उनको न प्लॉट मिला और न ही इनको पैसा वापस किया गया। 16,187 लोगों को हालांकि उनकी बुकिंग राशि वापस कर दी गई है।
वर्ष 2010-11 में प्रदेश के विभिन्न रिहायशी प्लॉट्स के आवंटन के लिए 5 हजार रुपये की अग्रिम धनराशि बुकिंग के लिए हिमुडा ने मांगी थी। इसके तहत कुल 72848 लोगों ने आवेदन किया और अपनी बुकिंग करवाई। मगर बाद में हिमुडा इन लोगों को प्लॉट्स का आवंटन करने में असफल रहा है।
सरकारी एजेंसी को लेकर लोग विश्वास करते हैं और इसी विश्वास के बूते लोगों ने पांच-पांच हजार रुपये की राशि हिमुडा को दी, मगर उनको प्लॉट नहीं मिल सके। बताया जाता है कि जहां पर जमीनें खरीदीं गई हैं वे आबादी व सड़क से दूर हैं। इस कारण भी यहां पर प्लॉट खरीदने के लिए लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं। यहां जमीन खरीदकर खुद हिमुडा प्रबंधन फंस गया है। करोड़ों रुपये इसपर खर्च किए गए हैं और उसकी वसूली अब नहीं हो पा रही है। ऐसे में जिन लोगों ने एडवांस बुकिंग करवा रखी है उनका पैसा भी इनके पास फंस गया है। इतने साल बाद भी इनको अपना आशियाना बनाने के लिए उचित जगह नहीं मिल पा रही है और अब हिमुडा ने नई जमीन खरीदने से साफ इनकार कर दिया है।
डिमांड सर्वे के आधार पर 201 को प्लॉट आवंटन
बताया जाता है कि अभी तक डिमांड सर्वे के आधार पर हिमुडा ने 201 लोगों को प्लॉट्स का आवंटन किया है। एजेंसी ने खाली चल रहे प्लॉट्स की जानकारी वेबसाइट पर डाली। इस जानकारी के बाद जिन लोगों को प्लॉट्स पसंद आए उन्होंने ले लिए।
तीन-चार स्थानों पर प्लॉट्स आवंटन की तैयारी
हिमुडा अभी तीन-चार स्थानों पर प्लॉट्स का आवंटन करने की तैयारी में है। इसमें जाठियादेवी भी एक स्थान है। मगर दिक्कत यही है कि एनजीटी के आदेशों के तहत यहां पर केवल ढाई मंजिला निर्माण ही हो सकता है और लोग इस कारण से अब ज्यादा रुझान नहीं दिखा रहे हैं। हिमुडा की प्लानिंग के अनुसार जाठियादेवी, ऊना में छेत्रा, सिरमौर में सोहाला व धर्मशाला में नगरोटा नामक स्थान पर जमीन खरीदी गई है।