जीवन ऋषि : धर्मशाला
स्मार्ट सिटी धर्मशाला में पहली बार हो रहे लिट फेस्ट के पहले दिन शुक्रवार को साहित्यकारों ने गंभीर विषयों पर तार छेड़कर पूरे देश-प्रदेश को भाव विभोर कर दिया। डिग्री कॉलेज ऑडिटोरियम में लिट फेस्ट के पहले दिन का मुख्य आकर्षण प्रख्यात साहित्यकार नीलेश कुलकर्णी और प्रो. रोशन शर्मा में करीब 40 मिनट की चर्चा रही।
इसमें ‘इन द फुटस्टेप ऑफ रामा’ किताब के मुख्य अंशों पर चर्चा के बीच नामी स्कॉलर्ज ने नीलेश कुलकर्णी से सवाल किए, जिसका उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया। एक किस्सा सुनाते हुए कुलकर्णी ने कहा कि वह अयोध्या में हनुमान गढ़ी के महंत बाबा प्रेमदास से मिले थे। बाबा प्रेमदास ने उन्हें मंदिर के पास ही एक ऐसी मस्जिद दिखाई थी, जिसकी गिरी हुई छत को मंदिर के पैसे से दोबारा बनाया गया था। महंत से जब मंदिर के पैसे से मस्जिद को बनाने की बात पूछी तो उन्होंने बड़ी सरलता से बताया कि इबादत मंदिर में भी होती है और मस्जिद में भी। पंथ तो सिर्फ दिलों में है।
इस चर्चा के दौरान कुलकर्णी ने बताया कि हम भारतीय एरिया पेसेफिक हैं। अयोध्या में हम श्रीराम को रामलला या राजा राम के रूप में जानते हैं। अयोध्या से बाहर जाएंगे तो कहीं लोग वह वनवासी रूप और कहीं विरही रूप में मिलेंगे। नासिक जाएंगे तो राम आपको धुनष-बाण के साथ मिलेंगे। मतलब श्रीराम जिस क्षेत्र में जिस रूप में रहे हैं, वहां उन्हें उसी रूप में पसंद किया जाता है। कुलकर्णी ने जिक्र किया कि जैन रामायण में राम एक तीर्थंकर हैं, जिसमें रावण का वध लक्ष्मण ने किया है।
“लिविंग ए वंडरफुल लाइफ” पर चर्चा से खुशहाल जीवन का मंत्र दिया
इस दौरान कुलकर्णी ने ऑडिटोरियम में बैठे स्कॉलर्ज के हर सवाल का जवाब दिया। इससे पहले साहित्यकार विवेक आत्रेय और जुपिंदरजीत सिंह ने चर्चा के दौरान ‘लिविंग ए वंडरफुल लाइफ’ पर चर्चा करके खुशहाल जीवन का मंत्र दिया। वहीं लिली स्वर्ण, ललित मोहन शर्मा और निशा लूथरा ने ‘थोउट दैट ब्रीथ’ पर शानदार चर्चा के दौरान पहाड़ी और पंजाबी के शब्दों को खूबसूरती से अपने संबोधन में पिरोया। इसके बाद सत्र में तेंजिंन सुंडे और नयन सेरिंग टशी ने तेंजिन छोइंग के साथ चर्चा की। इनका विषय एक्रोस दि हिमालय- ए मिशन ऑन तिबेतन लिटरेचर रहा।