शैलेश सैनी। नाहन
7 नवंबर, 2019 को पीएम नरेंद्र मोदी ने धर्मशाला से हिमाचल प्रदेश में इन्वेस्टर्स को आकर्षित करने के लिए हिमाचल प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर मीट का शुभारंभ किया था।
हैरानी तो इस बात की है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर नए इन्वेस्टर्स को अभी तक इन्सेंटिव को लेकर बनाई गई पॉलिसी की नोटिफिकेशन जारी नहीं की गई है। इसके परिणामस्वरूप हिमाचल में इन्वेस्टमेंट करने वाले इन्वेस्टर्स ने प्रदेश से मुख मोड़ते हुए जम्मू के कठुआ का रुख करना शुरू कर दिया है।
यही नहीं फार्मा हब कहलाने वाले हिमाचल प्रदेश फार्मा इंडस्ट्री से जुड़े कुछ बड़ उद्योगपतियों ने अपने उद्योगों की एक्सपेंशन को रोकते हुए जम्मू मेंं आवेदन भी कर दिया है। हैरानी तो इस बात की है कि हिमाचल प्रदेश में करीब 570 एमओयू साइन भी हुए थे। प्रदेश सरकार के द्वारा करीब 75 हजार करोड़ के निवेश का आंकड़ा रखा गया था, मगर करोड़ों खर्चने के बाद इन्वेस्टर मीट का दावा अब हवा-हवाई होता नजर आ रहा है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार के द्वारा नए इन्वेस्टर को आकर्षित करने के लिए सेल टैक्स व बिजली आदि में इन्सेंटिव दिए जाने की घोषणाएं की गई थी। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इन घोषणाओं को लेकर अभी तक कन्सर्न डिर्पाटमेंट्स के द्वारा जो पॉलिसी सुनिश्चित की गई थी, उसकी नोटिफिकेशन भी नहीं की गई है।
हालांकि नोटिफिकेशन करने का जिम्मा सरकार का होता है। जाहिर है कि कहीं न कहीं संबंधित विभागों के आला अधिकारी सरकारी आदेशों से तवज्जों नहीं रखते हैं। इस बार जो इन्सेंविट का बजट यहां स्थापित उद्योगपतियों को मिलना था, उसका बजट भी लैप्स हो चुका है। असल में हिमाचल प्रदेश के उद्योगपतियों को सरकार की घोषणा अनुसार कुल लोकल सेल का 20 फीसदी रिवर्स होना था।
जानकारी तो यह भी है कि उद्योग विभाग के द्वारा कड़ी मशक्कत कर इन इन्सेंटिव को लेकर केस भी तैयार किए गए थे, मगर प्रदेश एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग के द्वारा यह कहकर तमाम केस रिजेक्ट कर दिए गए कि इसको लेकर अभी उनके पास कोई पॉलिसी नहीं है। चूंकि इन्वेस्टर मीट के दौरान सरकार ने तमाम उद्योगपतियों से जो कमिटमेंट किए थे उन कमिटमेंट्स को लेकर अभी तक नोटिफिकेशन जारी न होने को लेकर उद्योगपति और नए इन्वेस्टर काफी नाराज भी हैं।
नाम न छापने की शर्त पर एक बड़े उद्योगपति ने यहां तक भी कहा कि विभागों के आला अधिकारी जब सरकार की बात ही नहीं मानते तो नई इन्वेस्टमेंट का जोखिम किसी भी सूरत में नहीं उठाया जा सकता है, जबकि प्रदेश के अधिकतर औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। साथ ही उद्योग विभाग के पास बड़े उद्योगपतियों के लिए दिए जाने को जमीन भी नहीं है।
जम्मू के कठुआ में उद्योग विभाग के द्वारा 57 हजार एकड़ जमीन एक सुरक्षित माहौल के साथ दिए जाने का वायदा बाकायदा नोटिफिकेशन के द्वारा किया गया है। उधर, बिजली बोर्ड के एमडी आरके शर्मा का कहना है कि पॉलिसी बनाना सरकार का कार्य है। वह तो केवल इंप्लीमेंट करते हैं। आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी विभाग रोहन ठाकुर का कहना है कि वह मीटिंग में व्यस्त हैं। इस विषय में उन्होंने फिर कभी बात करने की बात कही।
निदेशक उद्योग विभाग हंसराज का कहना है कि वह भी अभी मीटिंग में व्यस्त हैं। मीटिंग के बाद बात करेंगे। कई बार संपर्क किया गया मगर संतोषजनकर जवाब नहीं मिला। बहरहाल अधिकारियों के इस प्रकार के जवाबों को लेकर सवाल पूरा सुन लिया जाता है और जवाब देने के समय मीटिंग की व्यस्तता जाहिर करना अपने आप में सरकार के साथ अधिकारियों का लैक ऑफ को-ऑर्डिनेशन खुद-ब-खुद प्रमाणित हो जाता है।