हिमाचल दस्तक ब्यूरो। नाहन
तेजी से की जा रही वैक्सीनेशन के बावजूद कोरोना वायरस के मिल रहे नए स्ट्रेंस ने जहां सरकार की चिंता बढ़ा दी है, वहीं स्थिति से कैसे निपटा जाए, इसको लेकर डॉ. यशवंत सिंह परमार मेडिकल कॉलेज में गहन विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ।
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर एनके महेंद्रू की अध्यक्षता में आयोजित हुई इस विचार गोष्ठी में कॉलेज के सीनियर रेजिडेंट फैकल्टी मेंबर व पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों ने भाग लिया। गोष्ठी में कोरोना वायरस की नवीनतम स्थिति और मिल रहे नए स्ट्रेंस को लेकर विस्तृत रूप से चर्चा की गई। इसके साथ-साथ वेक्टर बोर्न डिजीज जैसे मलेरिया व डेंगू से कैसे निपटना है, इसको लेकर भी रणनीति बनाई गई।
दरअसल अब गर्मियों का सीजन शुरू होने जा रहा है जिसमें मलेरिया और डेंगू भी प्राण घातक साबित होते हैं। गोष्ठी में शामिल स्पीकर एसोसिएट प्रोफेसर माइक्रोबायोलॉजी डॉ. मंजू ने तेजी से बढ़ रहे कोरोना को कैसे रोका जाए, विषय पर अपना संवाद रखा। सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर रेनू चौहान, डॉ. रश्मि तथा एमएस डॉ. श्याम कौशिक ने वैक्सीनेशन में तेजी लाने के साथ-साथ वैक्सीनेशन के प्रभाव पर भी चर्चा की।
एमएस डॉ. श्याम कौशिक ने बताया कि अब जो कोरोना की स्थिति पैदा हुई है, वह एक चिंता का विषय है। उन्होंने इससे बचाव को लेकर गैदरिंग से बचाव और गैदरिंग वाले कार्यक्रम आदि पर कंट्रोल करने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि 100 प्रतिशत वैक्सीनेशन के लिए लंबा समय लग सकता है। लिहाजा सोशल डिस्टेंस, हाथों को सही तरीके से धोना या सेनिटाइज करना और मुंह पर मास्क लगाना बहुत जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी भी स्थिति नियंत्रण में है। अगर सुरक्षा के नियमों को गंभीरता से न लिया गया तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
डॉ. रश्मि ने रोग वाहक जनित रोगों जैसे डेंगू और मलेरिया की रोकथाम को लेकर की जाने वाली तैयारियों पर अपने सुझाव रखे। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय जिस संकट से देश गुजर रहा है, उसमें स्वास्थ्य विभाग पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
लिहाजा स्वास्थ्य विभाग से जुड़े हुए तमाम कर्मचारियों का यह दायित्व भी बन जाता है कि वे बॉर्डर पर संघर्ष करने वाले सैनिक की तरह देश में उत्पन्न हुई इन स्थितियों को लेकर पूरी ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। गोष्ठी में पैरामेडिकल स्टाफ के साथ-साथ सिक्योरिटी से जुड़े वॉलंटियर्स को भी शामिल किया गया था।