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गौ और गौवंश संरक्षण की मांगों को लेकर रामलीला मैदान में संभाला है मोर्चा
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। नाहन
गौ और गौवंश संरक्षण की मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे सचिन ओबरॉय का अनशन प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद भी जारी है। हालांकि शुक्रवार को पांवटा प्रशासन ने अनशन तुड़वाने का प्रयास किया, लेकिन प्रशासन सफल नहीं हुआ।
ऐसे में उन्हें जबरन उठाकर नाहन मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, सचिन ओबरॉय की स्वास्थ्य जांच में किसी तरह की कोई कमी नहीं पाई गई। लिहाजा अस्पताल से उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया और सचिन ओबरॉय रामलीला मैदान आकर वापस अनशन पर बैठ गए।
गौ संरक्षण को लेकर गौपालक सचिन ओबरॉय का आमरण अनशन चौथे दिन भी जारी है। हालांकि प्रशासन और सरकार इस मुद्दे से वाकिफ हैं, मगर आमरण अनशन खत्म करवाने का कोई सार्थक प्रयास अभी तक नहीं हुआ है। सरकार की संवेदनहीनता से स्पष्ट हो गया है कि सरकार और गौ सेवा आयोग गौ संरक्षण को लेकर गंभीर नहीं है।
सरकार और प्रशासन का ज्यादा ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि सचिन ओबरॉय का आमरण अनशन कैसे तुड़वाया जाए। साथ ही इस मामले में सरकार की गिरती साख को कैसे संभाला जाए।
हालांकि शुक्रवार को स्थानीय प्रशासन ने चालाकी दिखाते हुए एक डॉक्टर, स्थानीय तहसीलदार और पुलिस की एक बड़ी टीम भेजकर आमरण अनशन खत्म करवाने का प्रयास किया, लेकिन नाहन मेडिकल कॉलेज से स्वस्थ इस जांच रिपोर्ट की वजह से प्रशासन को मुंह की खानी पड़ी।
दरअसल सुबह तड़के यह टीम धरना स्थल पर पहुंच गई और आनन-फानन में सचिन ओबरॉय की स्वास्थ्य जांच की, जिसमें ब्लड प्रेशर सहित शुगर लेबल सामान्य से काफी नीचे बताया गया। साथ ही सचिन ओबरॉय को उठाकर एक निजी गाड़ी में डाल दिया गया।
उनके साथ मौजूद लोगों को बताया गया सचिन को स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा है, मगर इसके विपरीत पुलिस की कस्टडी में सचिन ओबरॉय को सीधे मेडिकल कॉलेज नाहन पहुंचाया गया। वहां उनके स्वास्थ्य की तुरंत जांच शुरू हुई।
जांच रिपोर्ट पांवटा स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट के बिल्कुल उलट और चौंकाने वाली थी। सचिन ओबरॉय का ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल सामान्य पाया गया और मेडिकल कॉलेज से उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।
पूर्ण रूप से स्वस्थ सचिन ओबरॉय वापस पांवटा साहिब आकर रामलीला मैदान में फिर से अनशन पर बैठ गए हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रशासन और सरकार की इस हरकत पर लोग सवाल उठा रहे हैं। सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर प्रशासन को किस बात का डर था जो गौ संरक्षण की मांग को लेकर धरने पर बैठे गौपालक को इस तरह से उठाने की जरूरत पड़ी।
वहीं दूसरी तरफ सचिन ओबरॉय ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। सचिन ओबरॉय का कहना है कि निकम्मे तंत्र के खिलाफ उनका अनशन जारी रहेगा। गौ संरक्षण को लेकर उनकी मांगें पूरी होंगी तभी अनशन खत्म होगा।