महेंद्र बदरेल : रामपुर बुशहर
प्रदेश में आपदा आने पर एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स) की टीम तुरंत एक्शन में आएगी। हिमाचल में मंडी, नालागढ़ और रामपुर में एनडीआरएफ की कंपनियों ने काम करना शुरू कर दिया है। रामपुर में एनडीआरएफ का बेस सेंटर डकोलढ़ में बनाया जा रहा है, जिसकी कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है। अब जल्द ही एनडीआरएफ यहां पर अपना स्ट्रक्चर बनाएगी। इसके लिए एनडीआरएफ ने साढ़े 4 बीघा जमीन को एक्वायर किया है।
फिलहाल रामपुर स्थित कंपनी ज्यूरी से कार्य कर रही है। मंडी, नालागढ़ और रामपुर में स्थित कंपनियां अभी हेडक्वार्टर जसूर से ऑपरेट हो रही हैं। जसूर में एनडीआरएफ की बटालियन स्थित है, लेकिन अब हिमाचल के अन्य हिस्सों में भी कंपनियां स्थायी तौर से अपना कार्यक्षेत्र बढ़ा रही हैं। ऐसे में आने वाले समय में आपदा आने पर एनडीआरएफ की टीम यहां के लोगों के लिए संजीवनी साबित होगी।
हिमाचल के किसी भी क्षेत्र में जब भी किसी भी प्रकार की आपदा हो, उसके लिए सबसे पहले संबंधित प्रशासन को इस बारे में सूचित किया जाना चाहिए। इसके बाद प्रशासन एनडीआरएफ के हेडक्वार्टर में संपर्क करेगा, जहां से संबंधित कंपनी को यह आदेश दिए जाएंगे कि वह तुरंत मौके पर जाकर राहत कार्य शुरू कर दे।
ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया में स्थानीय प्रशासन की भागीदारी काफी अहम है। विशेष बात यह है कि एनडीआरएफ की टीम के पास किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए पर्याप्त साधन रहते हैं। चाहे बाढ़ की स्थिति हो या फिर भारी भूस्खलन या फिर अग्निकांड, एनडीआरएफ अपने आप में आपदा से लडऩे में पूरी तरह सक्षम होता है।
एनडीआरएफ की टीम रामपुर में सक्रिय है। यहां पर डकोलढ़ में कंपनी का स्थायी बेस बन रहा है। कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है। जल्द ही एनडीआरएफ को मौके पर निर्माण कार्य शुरू करने की अनुमति मिल जाएगी।
-सुरेंद्र मोहन, एसडीएम, रामपुर बुशहर।
बताते चलें कि हिमाचल में अकसर नदियों में बाढ़ व भारी भूस्खलन के मामले पेश आते रहते हैं। साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं का सिलसिला भी आम है। ऐसे में किसी भी प्रकार की आपदा आने पर आम ग्रामीण ही सबसे पहले आगे आते हैं, लेकिन उन्हें सही जानकारी न होने के कारण वे आपदा में तुरंत कार्रवाई नहीं कर पाते। इससे कई अनमोल जानें अकाल मौत के मुंह में समा जाती हंै, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
ऊपरी शिमला में अब रामपुर की एनडीआरएफ की टीम जिला शिमला, कुल्लू, किन्नौर, लाहौल-स्पीति तक अपनी तुरंत सेवाएं देगी। स्थानीय प्रशासन भी जल्द से जल्द एनडीआरएफ की टीम को स्थायी जगह देने के हक में है। कारण साफ है कि जिस तरह से यहां पर दुर्घटनाएं व आपदाएं चलती रहती हैं, उसे देखते हुए एनडीआरएफ की टीम आपदा में फंसे लोगों को नया जीवनदान दे सकती है। एनडीएआएफ के अधिकारी विनोद कुमार ने कहा कि वह 24 घंटे 7 दिन सेवाएं देने के लिए तत्पर हैं।