एचटी तारों की चपेट में आने से खो दिए थे दोनों बाजू
देवेंद्र गुप्ता। सुंदरनगर : नीट की परीक्षा पास करने के बावजूद डॉक्टरी की पढ़ाई करने में अयोग्य करार दिये गए सुंदरनगर के रजत ने बिजली बोर्ड के खिलाफ कानूनी लड़ाई लडऩे का फैसला किया है।
बिजली बोर्ड की लापरवाही से 8 साल की उम्र में अपनी दोनों बाजू खो चुके रजत के पिता जय राम ने बताया कि वे अपने दिव्यांग बेटे को मुआवजा दिलाने के लिए सुंदरनगर के कोर्ट में केस दर्ज करेंगे। उन्होंने बताया कि अब उनका बेटा 18 साल का हो चुका है। जयराम ने बताया कि आठ साल की उम्र में उनके मकान के लैंटल पर लटक रहीं बिजली की नंगी तारों से उनके बेटे की दोनों बाजू झुलस गईं थीं। आईजीएमसी शिमला में उसका उपचार हुआ और उसकी दोनों बाजू काटनी पड़ीं।
हादसे के बाद बिजली बोर्ड पर केस तो दर्ज हुआ, मगर उस समय रजत आठ साल का था। इस वजह से उसे केस लडऩे के लिए दस साल का इंतजार करना पड़ा। इसकी एफआईआर सुंदरनगर के एक थाने में दर्ज हुई है जिसमें परिवार ने बिजली बोर्ड से 50 लाख से ज्यादा के मुआवजे की मांग की है। परिवार का यह भी कहना है कि अगर उनका बेटा एमबीबीएस बन गया होता तो वह मुआवजे की मांग नहीं करते। मगर अब उनके बेटे का करियर ही खत्म हो गया है तो उसके भरण पोषण के लिए पैसों की जरूरत होगी।
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