हिमाचल दस्तक : विजय कुमार : संपादकीय : गरीबी पर वार के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गरीबों को आजीविका का साधन देना सकारात्मक पहल है। यह गरीबी दूर करने का नया तरीका है। इससे पहले अपनाए जा रहे तरीकों से अच्छे परिणाम सामने न आने के कारण प्रदेश सरकार यह कदम उठाया है। परंपरागत तरीकों से गरीबों की संख्या घटने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।
एक तरह से साल-दर-साल बीपीएल सूची को ढोया जा रहा है। इस सूची में इजाफा सरकारी योजनाओं के लाभ के कारण हो रहा है। इनका मोह इतना हो गया है कि अमीर लोग भी गरीबी का टैग पाने को आतुर रहते हैं। यही वजह है कि बीपीएल सूची में फर्जी गरीबों के शामिल होने की शिकायतें मिलती रहती हैं। बीपीएल परिवारों के घर के बाहर बोर्ड लगाने के बाद भी कई फर्जी गरीबों का पता चला था। कुल मिलाकर गरीबी दूर करने के परंपरागत तरीकों से सरकारी धन का दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है। वहीं गरीबों का कोई भला इन योजनाओं से नहीं हो रहा है।
अब मिशन अंत्योदय से बीपीएल सूची के एक लाख परिवारों को ऐसी आजीविका देने का फैसला लिया गया है, जिससे वे गरीबी रेखा से बाहर आ सकें। यह तरीका सरकार और गरीब दोनों के लिए कारगर है। सरकार ने नए तरीके के हिसाब से काम करना शुरू भी कर दिया है। इसी कड़ी में ग्रामीण विकास विभाग ने गरीब परिवारों को चिन्हित किया है।
विशेष बात यह है कि इस मिशन को लागू करने के लिए तीन तरह से सर्वे किया जा रहा है, ताकि सही लोगों को इस योजना का लाभ मिले। राज्य में इस समय करीब 2.62 लाख परिवार बीपीएल में हैं। प्रदेश सरकार का यह कदम काबिल-ए-तारीफ है। सरकारी योजनाओं की चाशनी बांटने के बजाय सरकार ने गरीबी दूर करने का बीड़ा उठाया है। इसके बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं।