छात्रों को डेपुटेशन पर आकर पढ़ा रहे अध्यापक, अभिभावक न चाहते हुए भी बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने को मजबूर, समाजसेवी विक्रम ने कहा, टीचर न होने से बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित
अश्वनी दयात। जोल : प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन हकीकत कुछ और ही ब्यां कर रही है। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे प्राइवेट स्कूलों का रुख करने के लिए मजबूर हैं। कारण सरकारी स्कूलों में न तो स्थायी शिक्षक हैं और न ही पर्याप्त स्टाफ, जिसके चलते अभिभावकों ने बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाना शुरू कर दिया है।
प्रदेश सरकार आए दिन लाखों रुपये के विज्ञापन दे रही है। वहीं शिक्षा का स्तर बढ़ाने को लेकर सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से भी आधुनिक व रचनात्मक विषय सामग्रियों से लैस कर रही है, लेकिन इन सभी कोशिशों में जमीनी स्तर का अंदाजा राजकीय प्राथमिक स्कूल कृष्णानगर से लगाया जा सकता है। कृष्णानगर स्कूल में 20 से 25 बच्चे होने पर एक भी स्थायी अध्यापक नहीं है। स्कूल में बच्चों को अध्यापक डेपुटेशन पर आकर पढ़ा रहे हैं। सभी सुविधाओं से लैस होने पर भी विद्यार्थियों को सही मार्गदर्शक व सही समय नहीं मिल पा रहा है।
समाजसेवी विक्रम ठाकुर ने कहा कि परीक्षाओं को भी अब कुछ ही समय बाकी रह गया है, लेकिन कृष्णानगर सरकारी स्कूल में एक भी स्थायी अध्यापक नहीं है। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उन्होंने बताया कि पहले इस बारे में स्कूल प्रशासन व सरकार से गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन इस बारे अभी तक कोई संतोषजनक समाधान नहीं हो पाया है।
स्कूल का मामला ध्यान में है। अध्यापकों के स्थानांतरण के कारण स्कूलों में अध्यापकों व स्टाफ की कमी पेश आ रही है। स्थायी अध्यापक की नियुक्ति जल्द ही स्कूल में करवा दी जाएगी।
-बलवीर चौधरी विधायक चिंतपूर्णी