प्रवेश शर्मा : परागपुर
आजादी से पहले परागपुर व गरली दोनों कस्बे सुनियोजित तरीके से बसाए जा चुके थे। यहां के पुराने भवन यूरोपियन शैली पर बनाए गए हैं और आजादी के बाद यह दोनों कस्बे पंजाब प्रांत का भाग बन गए। पचास के दशक में परागपुर व गरली में सिविल अस्पताल खोल दिया गया था। वहीं इसी दशक में परागपुर को ब्लॉक का दर्जा भी मिल गया था और परागपुर में रोजगार, खादी बोर्ड व दो खंड शिक्षा विभाग के कार्यालय भी थे। साथ ही जेबीटी प्रशिक्षण संस्थान भी था। वहीं परागपुर व गरली दोनों कस्बों में आजादी से पहले स्कूल खुल चुके थे, जिनमें लड़कियों व लड़कों के अलग-अलग स्कूल थे। इनका सरकार ने अधिग्रहण कर लिया है। चारों राजकीय विद्यालय परागपुर व गरली में आज भी चल रहे हैं। 90 के दशक तक राजकीय उच्च विद्यालय परागपुर में शिक्षा ग्रहण करने के लिए पीरसलूही, रक्कड़ से लेकर डाडासीबा, त्यामल व भरवाईं तक के बच्चे आते थे।
आज के समय में रक्कड़ व डाडासीबा को कॉलेज मिल चुके हैं, लेकिन परागपुर जहां पहले था आज उससे भी कई गुणा पीछे जा चुका है। हालांकि वर्ष 1997 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सरकार के पर्यटन मंत्री विजय सिंह मनकोटिया ने परागपुर को हेरिटेज विलेज घोषित करवाया था। इसमें सबसे ज्यादा योगदान तत्कालीन आयुक्त एवं सचिव (पर्यटन) अशोक ठाकुर की अहम भूमिका थी, पर हेरिटेज विलेज की अधिसूचना में भारी भूल हो गयी। इसमें यह दर्शाया ही नहीं गया था कि परागपुर पटवार वृत्त का कौन सा आबादी देह क्षेत्र हेरिटेज विलेज है।
यानी कि राजस्व अभिलेख अनुसार उस क्षेत्र की भूमि के खेवट, खतौनी व खसरा नंबर नहीं दर्शाए गए थे। जब यह भूल सामने आई तो गरली-परागपुर को वर्ष 2002 में तत्कालीन धूमल सरकार हेरिटेज जोन घोषित कर टीसीपी एक्ट, 1977 लागू कर दोनों कस्बों को प्लानिंग क्षेत्र बना दिया। इसे स्पेशल एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी गरली-परागपुर (साडा) का नाम दिया गया। हैरत की बात है कि साडा क्षेत्र गरली-परागपुर की विकासात्मक योजना (डीपी) आज तक तैयार नहीं हुई।
सीएम के दौरे से आस
अब जबकि मुख्यमंत्री 17 मई को परागपुर आ रहे हैं तो ऐसे में संभावना जताई जा रही है, वे नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग को यहां के विकास की योजना को जल्द तैयार करने के आदेश दे सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो परागपुर व गरली दोनों कस्बों का भवन निर्माण कार्य हेरिटेज की तर्ज पर व फिर से सुनियोजित तरीके से होगा और दोनों कस्बे पर्यटन के क्षेत्र में भी चमक सकेंगे।
साडा क्षेत्र गरली-परागपुर के विकास की योजना लगभग तैयार हो चुकी है। इस योजना को नगर एंव ग्राम नियोजन विभाग आउटसोर्स की बजाय स्वयं तैयार कर रहा है। यही कारण है कि योजना बनने में देरी हो रही है।
– ज्योति ठाकुर
सहायक मंडलीय योजनाकार एवं सदस्य सचिव, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण गरली-परागपुर।