रक्षा मंत्रालय राज्य सरकार के प्रस्ताव पर राजी
वापस पंचायती राज क्षेत्र में आएंगे 12,028 लोग
हिमाचल दस्तक, राजेश मंढोत्रा। धर्मशाला
अंग्रेजों के जमाने का योल छावनी क्षेत्र अब खत्म होने जा रहा है। कांगड़ा जिला में धर्मशाला के पास स्थित ये कैंट एरिया 1941 में बना था। इस क्षेत्र में फंसे गांवों के लोगों की मांग को देखते हुए कई वर्षों से राज्य सरकार इस मसले को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय से उठा रही थी। दो दिन पहले दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के सचिव और हिमाचल सरकार के पंचायती राज विभाग के सचिव डॉ. आरएन बत्ता के बीच हुई बैठक में आखिरकार रक्षा मंत्रालय कैंट एरिया को खत्म करने पर राजी हो गया है। इसके लिए एक प्रक्रिया भी तय कर दी गई है। छावनी क्षेत्र को खत्म करने के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी बनेगी, जिसमें दो-दो सदस्य राज्य और केंद्र सरकार के होंगे।
ये कमेटी एक महीने में यानी 31 जनवरी 2020 से पहले छावनी क्षेत्र के स्टाफ, संपत्तियों और देनदारियों पर रिपोर्ट बनाएगी। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य और केंद्र सरकारें अपने अपने यहां कैबिनेट से ये फैसला पास करवाएगी। छावनी क्षेत्र खत्म करने की डेडलाइन 31 मार्च, 2020 रखी गई है। छावनी क्षेत्र खत्म होने के बाद यहां सिर्फ मिलिट्री स्टेशन रहेगा, जबकि शेष क्षेत्र वापस पंचायती राज विभाग को चला जाएगा। इससे इस कैंट एरिया में रहने वाली 12 हजार से ज्यादा की आबादी को राहत मिलेगी। करीब 1100 एकड़ जमीन वापस राज्य सरकार को ट्रांसफर होगी और इस एरिया में पंचायतों का गठन फिर पंचायती राज विभाग करेगा।
कई और छावनी क्षेत्रों से उठती रही है आवाज
छावनी क्षेत्रों से बाहर आने के लिए कई और कैंट एरिया से भी आवाजें उठती रही हैं। राज्य में इस समय करीब 7 कैंट एरिया हैं। इनमें योल के अलावा नाहन, कसौली, सुबाथू, डगशाई, डलहौजी और जतोग शामिल हैं। नाहन में कैंट एरिया से सिविल पापुलेशन की दिक्कतें कई बार खबर बनती रहती हैं। कसौली से भी ये मांग कई बार सामने आई है। योल के बाद संभव है सरकार और क्षेत्रों के लिए भी ये कदम उठाए।
मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने बताया कि योल छावनी क्षेत्र से वहां के लोगों को राहत मिलने वाली है। इसी महीने दो बैठकें दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के साथ इस मसले पर हुई हैं। डिफेंस राज्य सरकार के प्रपोजल पर राजी है।