- 2007 से 2013 के बीच सरकार दे सकती थी इजाजत
- व्यवस्था खत्म करने को जयराम सरकार ला रही संशोधन विधेयक
- लोगों ने जमीन बेचकर बना डाले होटल, सीलिंग एक्ट की अवहेलना
- सोमवार को पेश होगा संशोधन विधेयक
शकील कुरैशी : शिमला।
हिमाचल प्रदेश में चाय बागानों को बेचने की इजाजत देने की जो शक्तियां राज्य सरकार के पास थीं उसको खत्म किया जा रहा है। जयराम सरकार विधानसभा में एक संशोधित विधेयक लाकर यह बड़ा काम करने जा रही है। सूत्रों के अनुसार सोमवार को विधानसभा में हिमाचल प्रदेश भू राजस्व (संशोधन) विधेयक 2022 लाया जाएगा जिसके नियम 6 में सरकार परिवर्तन कर रही है। इसके अनुसार चाय बागानों को बेचने की इजाजत देने की जो शक्तियां सरकार के पास थीं वो अब नहीं रहेंगी यानी सरकार की मंजूरी के बाद भी चाय बागान प्रदेश में नहीं बिक सकेंगे।
बता दें कि वर्ष 2007 से 2013 के बीच तत्कालीन सरकार ने विधेयक में संशोधन करके एक प्रावधान किया था जिसमें कहा गया था कि बहुत जरूरी होने पर सरकार चाय बागान को बेचने की इजाजत दे सकती है लेकिन उस चाय बागान की किस्म को नहीं बदला जाएगा। यानी जिस व्यक्ति को वह चाय बागान बेचा जाएगा वह भी उसपर चाय का ही उत्पादन करेगा। मगर लोगों ने सरकार के इन नियमों की अवहेलना की और ऐसे कई मामले सरकार के ध्यान में आए जिसमें चाय बागानों पर होटल बना दिए गए, रिजॉर्ट खड़े कर दिए गए वहीं किसी अन्य कार्य के लिए उसका उपयोग हुआ। इसमें कई बेनामी ट्रांजेक्शन भी सरकार के ध्यान में आई हैं।
लिहाजा अपने स्तर पर सरकार ने 2013 के बाद यह मंजूरियां देनी बंद कर दीं। हालांकि ऐसे कई आवेदन सरकार के पास आए जोकि लंबित पड़े हुए हैं। वर्ष 2007 से लेकर 2013 तक प्रदेश सरकार ने करीब 73 मामलों में अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए चाय बागानों को बेचने की इजाजत दी थी। लगभग दो हजार बीघा जमीन को तब बेचा गया। अब जयराम सरकार ने इसपर पूरी तरह से लगाम लगाने की तैयारी की है। विधानसभा में यह संशोधन विधेयक पहले भी आ चुका है जिस पर वहां खासी चर्चा हुई और तय किया गया कि उसे सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया जाए। सरकार ने सुझावों की दृष्टि से इसे सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया जिसने अधिकारियों के साथ करीब तीन-चार बैठकें भी इस संदर्भ में की।
सेना भी मांग रही थी टी गार्डन की जमीन: गोपालपुर के पास टी गार्डन की जमीन को सेना भी मांग रही थी ताकि वहां पर छावनी बनाई जा सके। यह मामला भी सीलिंग एक्ट की सख्ती के चलते लटक गया है। यह भी एक रास्ता इनको बेचने की दृष्टि से निकाला जा रहा था मगर यह आगे नहीं बढ़ सका। सेना की तरफ से जो प्रपोजल आया था वो बाद में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया जिसमेंं जमीन को चिह्नित भी कर लिया गया था।
अब सुलझ चुका है पूरा मामला
सूत्र बताते हैं कि अब पूरा मामला सुलझ गया है और सरकार चाहती है कि उसके पास भी चाय बागानों को बेचने की इजाजत देने वाली शक्तियां न रहें क्योंकि इससे खासा दबाव सरकार पर भी पड़ रहा था। ऐसे में अब संशोधन विधेयक लाकर सरकार उन सभी रास्तों को बंद कर देगी जिससे चाय बागानों को बेचा जा सके। चाय बागानों पर सीलिंग एक्ट लगता है और इसकी धारा 6 में संशोधन किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिला में चाय के बागान हैं जिनको विकसित करने के लिए सरकार भी अपने स्तर पर खासे प्रयास कर रही है। कांगड़ा टी काफी मशहूर है लेकिन इन बागानों के कई ऐसे मालिक हैं जो चाहते हैं कि इस जमीन पर कुछ और काम किया जाए मगर सीलिंग एक्ट में ऐसे प्रावधान नहीं हैं।