शैलेश सैनी। नाहन
हिमाचल प्रदेश में एनडीपीएस व ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत बनाई जाने वाली प्रत्येक दवा के लिए एसओपी जारी कर दी गई है। इस एसओपी के बाद बनाई गई दवा का नशे के लिए मिस यूज कर पाना दवा निर्माता और मार्केटिड बाय दोनों कंपनियों के लिए नामुमकिन हो जाएगा। गौरतलब हो कि हाल ही में सिरमौर जिला से ताल्लुक रखने वाली दो दवा निर्माता कंपनियों से बरामद हुई नारकोटिक्स युक्त दवाओं के बाद प्रदेश की बड़ी किरकिरी हुई थी। हालांकि इस घटित प्रकरण में दवा का निर्माण करने वाली कंपनियों के द्वारा बाकायदा लाइसेंस लिया गया था। बावजूद इसके मार्केटिड बाय डिब्बे पर लिखा जाना और इसका फर्जी पाया जाना दवा निर्माताओं सहित जग डिपार्टमेंट के लिए गले की फांस बन गया था।
बड़ी बात तो यह भी है कि इस पूरे प्रकरण में जिन कंपनियों ने दवा निर्माता को आर्डर दिया था उसके पूरे डाक्यूमेंट्स भी इनके पास थे। मगर जिस फर्म ने इनसे दवा का निर्माण करवाया उस फर्म का आगे मार्केटिड बाय से ताल्लुक माना गया था ना कि दवा निर्माता से। बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश के इन दो ड्रग निर्माताओं के ऊपर कानून के साथ-साथ डिपार्टमेंट की भी कार्रवाई हुई। अब यहां जो सबसे महत्वपूर्ण बात मालूम हुई है उसमें लैक ऑफ़ इनफार्मेशन का होना मुख्य कारक माना गया है। असल में 11 फरवरी 2020 को जो नोटिफिकेशन मार्केटिड बाय को लेकर हुई थी वह 1 मार्च, 2021 को लागू हुई है। जिसके बाद लॉकडाउन और कोरोना काल चल पड़ा। जिसको लेकर इस नोटिफिकेशन को लेकर दवा निर्माता असमंजस की स्थिति में रहे।
क्या है नोटिफिकेशन :
असल में इस नोटिफिकेशन के बाद दवा निर्माता जिस भी किसी मार्केटिड बाय कंपनी का या फर्म का प्रोडक्ट बनाएगा उसके लिए उन्हें एक एग्रीमेंट बनाना होगा। उस एग्रीमेंट के तहत यदि दवा निर्माण में कोई गड़बड़ी पाई जाती है या क्वालिटी में कोई खामी आती है तो उसके लिए दवा निर्माता के साथ-साथ दवा बनाने का ऑर्डर देने वाली कंपनी भी बराबर की दोषी पाई जाएगी। यानी इस नई नोटिफिकेशन के बाद दवा निर्माता को दवा निर्माण के बाद फर्जी कंपनियों से सुरक्षा मिल जाएगी।
वही दवा का नशे के लिए मिस यूज होने को लेकर हिमाचल प्रदेश दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह के द्वारा बड़ा ही स्पीड फार्मूला तैयार किया गया है। बनाई गई एसओपी के अनुसार एनडीपीएस के अंतर्गत आने वाली हर उस दवा को कड़े नियमों से होकर गुजरना पड़ेगा। जिसके तहत इस प्रकार की दवा के निर्माण के बाद दवा निर्माता को लोकल ड्रग इंस्पेक्टर और उसके साथ साथ संबंधित जिला के एसपी को इसकी सूचना देनी होगी। यही नहीं जिस राज्य के लिए यह दवा ऑर्डर की गई है उस राज्य के दवा नियंत्रक को भी इसकी इंफॉर्मेशन ईमेल के माध्यम से देनी होगी। यानी दवा निर्माण से लेकर ऑर्डर करने वाले फार्म तक पूरी प्रक्रिया एक तरह के सर्विलेंस पर रहेगी।
यह एस ओ पी राज्य दवा नियंत्रक के द्वारा 4 जून 2021 से लागू घोषित कर दी गई है। वही हिमाचल प्रदेश ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने भी ड्रग डिपार्टमेंट की इस एसओपी का स्वागत किया है। मगर इसके साथ साथ एचडीएमए के चेयरमैन सीएस पुष्करणा ने कोरोना काल हवाला देते हुए मार्केटिड बाय के नोटिफिकेशन को लेकर आज से पहले के लिए सरकार से रिलैक्सेशन की मांग की है। उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि मार्केटिड बाय का दवा निर्माता से कोई संबंध नहीं माना जाता था। उन्होंने कहा कि जिस फर्म के द्वारा दवा निर्माण का आर्डर दिया जाता था उनके द्वारा मार्केटिड बाय लिखवाया जाता था। जिसमें कहीं भी दवा निर्माता की खामी नहीं पाई जाती है। मगर अब इस नोटिफिकेशन के बारे में सबको पूरी जानकारी भी हो गई है। इसके बाद यदि कोई गलती पाई जाती है तो उसमें विभागीय कार्यवाही की हिमाचल प्रदेश ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन स्वागत भी करेगी।
उधर राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह पुष्टि करते हुए बताया कि विभाग के द्वारा ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट व एनडीपीएस के अंतर्गत निर्माण की जाने वाली दवा को लेकर एसओपी जारी की गई है। इसके तहत अब हर उस दवा निर्माता को जो ऐसी दवा बनाता है जिसका मिस यूज नशे के लिए होता है उसे निर्माण के बाद स्थानीय ड्रग इंस्पेक्टर स्थानीय एसपी को सूचना देनी होगी। इसके साथ जिस राज्य में वह दवा जानी है उस राज्य के दवा नियंत्रक को ईमेल से सूचना भी देनी होगी। उन्होंने बताया कि दवा निर्माता और मार्केटिड बाय दोनों का एग्रीमेंट होगा। जिसकी एक कॉपी विभाग के पास भी रहेगी।