नई दिल्ली (भाषा)। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक दिन बाद रविवार को प्रमुख हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के साथ बैठक की। अधिकारियों ने बताया कि धार्मिक नेताओं ने शांति और सद्भाव बनाए रखने के सभी प्रयासों में सरकार को निरंतर समर्थन देने का संकल्प जताया। कुछ राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा हालात का फायदा उठाने की कोशिश की आशंका के बीच उन्होंने अमन-चैन बनाए रखने की अपील की। डोभाल के आवास पर यहां चार घंटे की बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान के मुताबिक, बैठक में जिन लोगों ने हिस्सा लिया, वो इस तथ्य से वाकिफ हैं कि देश के बाहर और भीतर, कुछ राष्ट्रविरोधी और असामाजिक तत्व हमारे राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर सकते हैं।
देश भर के धार्मिक नेताओं और हिंदू धर्माचार्य सभा और विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों ने बैठक में शिरकत की। बैठक में शामिल नेताओं ने उच्चतम न्यायालय के शनिवार के फैसले के बाद सौहार्द बनाए रखने के लिए लोगों और सरकार के कदमों की सराहना की। बयान में कहा गया, बातचीत से सभी समुदायों के बीच सद्भावना और बंधुता बनाए रखने के लिए शीर्ष धार्मिक नेताओं के बीच संवाद मजबूत हुआ। बैठक में शामिल सभी लोगों ने कानून के शासन और संविधान में पूरी आस्था प्रकट की।
धार्मिक नेताओं ने समाज में अमन चैन बनाए रखने में सरकार के सभी कदमों को पूर्ण समर्थन का संकल्प जताया। नेताओं ने संतोष जताया कि दोनों समुदायों के करोड़ों भारतीयों ने जिम्मेदारी, संवेदनशीलता और संयम का परिचय दिया। बैठक में शामिल सभी धार्मिक नेताओं ने विभिन्न समुदायों के बीच लगातार बातचीत की जरूरत पर जोर दिया और पहल की सराहना की। बैठक के बाद स्वामी परमात्मानंद सरस्वती ने कहा कि कुछ लोग गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं और इस बैठक में सुनिश्चित किया गया कि ऐसे लोगों को सफल नहीं होने दिया जाएगा। हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती दरगाह के प्रमुख सैयद जैनुल अबेदीन अली खान ने कहा कि इस तरह की बैठक की सराहना की जानी चाहिए।
ऋषिकेष के परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वतीजी ने कहा कि देश में हर समस्या का समाधान संविधान में निहित है और इस पर चर्चा की गई कि किस प्रकार एक औपचारिक व्यवस्था की जा सकती है जिसके तहत इस तरह की चर्चा जारी रह सके। मरकाजी जमीयत अहले हदीस हिंद के अध्यक्ष मौलाना असगर अली सलाफी ने कहा, हम कहते रहे हैं कि वे उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करेंगे। जब दिन आया तो जो कहा गया तो वह साफ हो गया। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कानून-व्यवस्था को लेकर सभी तरह की आशंकाएं गलत साबित हुईं।
योग गुरु रामदेव ने कहा अगर कुछ सवाल हैं भी तो हम देश की एकजुटता और अखंडता बनाए रखने के लिए उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करेंगे। बैठक में यह सबसे महत्वपूर्ण संकल्प लिया गया। उन्होंने कहा, मैं मुस्लिमों से मंदिरों के लिए, हिंदुओं से मस्जिदों के लिए योगदान की अपील करता हूं। हमें ऐसे प्रायोगिक कदमों को आगे ले जाना चाहिए। शिया संप्रदाय के मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि देश के लोगों ने फैसले के बाद अमन चैन सुनिश्चित किया। उन्होंने कहा, कहीं से एक भी घटना सामने नहीं आई। हमने इस व्यवस्था को औपचारिक बनाने के तरीकों पर चर्चा की ताकि दोनों समुदायों के बीच बातचीत जारी रह सके और मतभेदों को चर्चा के जरिए सुलझाया जा सके।