विनोद ठाकुर। भरमौर
केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया के दावे कितने खोखले हैं, इसका जीता-जागता नमूना विधानसभा क्षेत्र भरमौर के अंतर्गत आने वाली गैरजनजातीय पंचायतों में देखने को मिल रहा है, जहां पिछले 2 सालों में बच्चों को मोबाइल सिग्नल न होने के कारण ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रहना पड़ रहा है।
पहाड़ों में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चों के अभिभावकों को हमेशा इस बात का डर सताता रहता है कि कहीं ऑनलाइन पढ़ाई के चलते बच्चों की लाइफ से समझौता न करना पड़ जाए, क्योंकि अकसर इन बच्चों को मोबाइल सिग्नल ढूंढने के लिए जंगल-जंगल भटकना पड़ता है।
विधानसभा क्षेत्र भरमौर के अंतर्गत आने वाली गान पंचायत में मोबाइल सिग्नल न होने के कारण यहां के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रहना पड़ रहा है। पंचायत उपप्रधान काका ठाकुर का कहना है कि हाई स्कूल अननेहर के बच्चे सिग्नल ढूंढने के लिए जंगलों में भटकते रहते हैं।
उनका कहना है कि बिना सिग्नल के उनकी पंचायत के 3 स्कूलों के कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें मीलों पैदल चलने पर भी दूरसंचार सुविधा नहीं मिल पाती।
उनका कहना है कि इसके बारे में उपायुक्त चंबा से भी मिले थे, लेकिन नतीजा शून्य ही निकला। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द गान पंचायत को दूरसंचार सुविधा से जोड़ा जाए, ताकि बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ पंचायतों के ऑनलाइन कार्यों को भी गति मिल सके।