- शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज बोले प्रक्रिया शुरू, जल्द रिलीज होगा पैसा
- सीबीआई के पत्र के आधार पर रोकी गई थी पिछले दो साल की छात्रवृत्ति
- अब आई क्लैरिफिकेशन, 2017 के बाद की स्कॉलरशिप जांचाधीन नहीं
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : राज्य में हुए करीब 250 करोड़ के स्कॉलरिशप घोटाले के बाद सरकार ने अब सीबीआई से क्लैरिफिकेशन लेकर रुकी हुई छात्रवृत्ति जारी करने के आदेश दिए हैं। ये प्रक्रिया शुरू हो गई है और पिछले दो साल की स्कॉलरशिप एक साथ डाली जाएगी। ये बात शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने की।
इस घोटाले के बाद सीबीआई ने हिमाचल सहित कई अन्य राज्यों के नामी शिक्षण संस्थानों में स्कॉलरशिप देने पर रोक लगा दी थी। सीबीआई ने इसको लेकर शिक्षा विभाग को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि जब तक मामले की जांच चल रही है, तब तक उक्त संस्थानों को स्कॉलरशिप जारी न की जाए। समग्र शिक्षा अभियान पर शिमला में आयोजित कार्यक्रम के
दौरान पत्रकारों से बातचीत में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिक्षा विभाग ने इसको लेकर सीबीआई से क्लेरिफिकेशन मांगी थी। एजेंसी की ओर से आए पत्र में कहा गया है कि यह रोक सभी छात्रों की स्कॉलरशिप पर नहीं है। जिन शिक्षण संस्थानों का नाम स्कॉलरशिप घोटाले में हैं और उन पर संदेह है, उनकी स्कॉलरशिप ही रोकी गई है। वर्ष 2017 व इसके बाद स्कॉलरशिप को लेकर कोई जांच नहीं हो रही है। इस पत्र के बाद विभाग ने स्कॉलरिशप जारी करने के आदेश जारी किए हैं।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि सीबीआई की ओर से आई क्लेरिफिकेशन के बाद राज्य के सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रों की रुकी स्कॉलरशिप को जल्द जारी कर दिया जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। स्कॉलरशिप फर्जीवाड़े के बाद प्रदेश के हजारों छात्रों की स्कॉलरशिप रोक दी गई थी। वर्ष 2017-18 और 2018-19 में अपीयर हुए छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं मिल रही थी। इसके कारण निजी शिक्षण संस्थान छात्रों को क्लास में बैठने की इजाजत नहीं दे रहे थे। यही नहीं शिक्षण संस्थान छात्रों को परीक्षा में अपीयर होने की भी परमिशन नहीं दे रहे थे।
शिक्षा विभाग ने केंद्र-सीबीआई से उठाया था मामला
शिक्षा विभाग ने यह मामला केंद्र सरकार और सीबीआई के समक्ष उठाया था। छात्रों ने मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। हाल ही में छात्रों ने शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना प्रर्दशन भी किया था। छात्रों का आरोप है कि छात्रवृत्ति के चलते ही उनका दाखिला हुआ था लेकिन 2 सालों से एक भी पैसा उनके खाते में नहीं आया है। संस्थान उन्हें ये कह रहे हैं कि जब तक फीस नहीं भरी जाएगी, तब तक छात्रों को कक्षाओं में नहीं बैठने दिया जाएगा।