राजेश मंढोत्रा। शिमला:
अगले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में पंचायती राज संस्थाओं को कुल 426 करोड़ रुपये मिलेंगे। यह आवंटन 15वें वित्तायोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में किया है। इसमें जिला परिषद और बीडीसी का पैसा बहाल करने के साथ एक बड़ी शर्त भी लगाई गई है।
वित्तायोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पंचायती राज संस्थाओं में तीनों स्तरों पर पैसा मिलेगा, लेकिन तीनों के लिए इसमें से 50 फीसदी ही फंड अनटाइड होगा, जिसे ये अपनी मर्जी से जरूरत के अनुसार खर्च सकेंगी। शेष 50 फीसदी पैसा टाइड होगा, जो केवल स्वच्छता और जल संरक्षण पर ही खर्च किया जा सकेगा। दूसरे साल में यानी अगले 4 साल के लिए एक शर्त और जुड़ेगी कि यह ग्रांट्स तभी मिलेंगी, जब स्थानीय निकाय ऑडिटिड खाते दिखाएंगे। यानी अब पंचायती राज संस्थाओं को भी ऑडिट नया साल शुरू होने से पहले समय रहते करवाना होगा। नहीं तो अगले साल की ग्रांट नहीं मिलेगी। जिला परिषद और बीडीसी को अब पहले जैसे पंचायत से अलग पैसा आवंटित होगा।
गौरतलब है कि 14वें वित्तायोग ने पांच साल के लिए 1800 करोड़ पंचायतों को दिया था। यानी हर साल 360 करोड़ पंचायतों के हिस्से आते थे, क्योंकि जिला परिषद और पंचायत समिति का बजट वित्तायोग ने रोक दिया था। वर्तमान में राज्य में 3226 ग्राम पंचायतें, 12 जिला परिषद और 78 पंचायत समितियां हैं। ये भी अब 80 हो जाएंगी, क्योंकि सरकार ने 2 नए बीडीओ ऑफिस खोलने की घोषणा कर दी है। दिसंबर में होने वाले चुनाव से बीडीसी भी 80 हो जाएंगी।
नई पंचायतों के गठन पर फैसला 17 को
हिमाचल में नई पंचायतों के गठन पर फैसला 17 को होने वाली कैबिनेट की बैठक में लिया जाएगा। पंचायती राज विभाग इस बारे में आए करीब 400 आवेदनों की स्क्रीनिंग कर चुका है और इसकी रिपोर्ट कैबिनेट में एक प्रेजेंटेशन के जरिये रखी जा रही है। वर्तमान में राज्य में 3226 ग्राम पंचायतें हैं और यदि नए आवेदनों पर सरकार ने नरम रुख रखा तो इनकी संख्या में 100 से ज्यादा का इजाफा हो सकता है।