गुड न्यूज :सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन के बाद बढऩे लगी मांग , पत्तल व्यवसाय से जुड़े लोगों को मशीनें भी उपलब्ध करवाएगी सरकार , टौर के पेड़ों की मात्रा बढ़ाने का भी होगा प्रयास
आरके सूद। बड़सर : हमीरपुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में शादी समारोह व दूसरे आयोजनों की शान रही हरे रंग के पत्तल डूना अब फिर प्रदेश के सभी जिलों में नए अंदाज में नजर आएंंगे। सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने के बाद हरी पत्तलों की मांग बढऩे लगी है। दरसल सरकार ने प्लास्टिक और थर्माकोल से बने कप, प्लेटों व डूने के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया है।
अब सरकार इसके बिकल्प के रूप में ग्रीन टेक्नोलाजी अपनाने जा रही है जिसके लिए योजना भी बनाई जा चुकी है। इस योजना के तहत अब सरकार एक बार फिर टौर के हरे पेड़ के पत्तों की पत्तलों को बनाने वाले लोगों को प्रमोट करेगी तथा उनकी आर्थिकी मजबूत करेगी। सरकार प्रदेश में न केवल टौर के पेड़ों की मात्रा बढ़ाने का भी प्रयास करेगी बल्कि पत्तल व्यवसाय से जुड़े लोगों को पत्तलों के उत्पादन करने के लिए मशीनें भी उपलब्ध करवाएगी। सरकार की इस योजना से न केवल प्रदेश में पार्यावरण को बचाने में सहायता मिलेगी, बल्कि इस रोजगार से जुड़े लोगों की आर्थिकी भी मजबूत होगी।
गौरतलब है कि जिला हमीरपुर सहित पूरे प्रदेश में इससे पहले हरे रंग की देशी पत्तलों का प्रयोग शादी समरोहों व अन्य आयोजनों पर किया जाता था लेकिन बढ़ती टेकनलोजी के चलते प्रदेश से धीरे-धीरे टौर के पेड़ के पतों से बनी पत्तलों का आस्तित्व ही खत्म हो गया था। लोग प्लास्टिक व थर्माकोल से बनी वस्तुओं को अपने जीवन में ज्यादा महत्व देने लगे जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश में कैंसर जैसी घातक बीमारियों ने अपना डेरा जमाना शुरू कर दिया।
घातक बीमारियों के बढऩे के कारण सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया और शोध में पता चला की प्रदेश में बढ़ रहे प्लास्टिक व थर्माकोल से ये घटक बीमारियां बढ़ रही हंै। सरकार ने संज्ञान लेते हुए प्रदेश को प्लास्टिक मुक्त करने का निर्णय लिया और हाल ही में प्लास्टिक व थर्माकोल से बनी पत्तलों व गिलासों पर पूर्णतय प्रतिबंध लगाया है।
लोगों को मिलेगा आजीविका का साधन
पहाड़ी देशी पत्तल टौर नामक बेल के पत्ते से बनती है यह बेल मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों हमीरपुर, मंडी व कांगड़ा जिले में अधिक मात्रा में पाई जाती है। हमीरपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के काफी मात्रा में लोग देशी पत्तलों का कारोबार करते हैं जो क्षेत्र में होने वाले विवाह शादियों व अन्य आयोजनों में पत्तलों की पूर्ति करते थे और अपनी आजीविका कमाते हैं।
लेकिन मशीनी दौर और बढ़ती टेक्नॉलोजी के चलते इन लोगों के कारोबार को काफी नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन सरकार द्वारा प्लास्टिक व थर्माकोल पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब फिर इन लोगों की आजीविका का साधन शुरू होगा जिसके लिए सरकार भी इन लोगों को पत्तल बनाने के लिए सहयोग करेगी तथा मशीनें उपलब्ध करवाएगी। इससे लोगों की आर्थिकी मजबूत होने के साथ साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।