- बजट चर्चा के जवाब में बोले सीएम, 5066 करोड़ के लाभ दिए कर्मचारियों को
- शगुन योजना में संशोधन गरीब बेटियों को अब बिना जाति देखे मिलेंगे 31,000
रोहित शर्मा। शिमला
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि पंजाब के वित्त मंत्री ने सरकारी कर्मचारियों और पेंंशनरों को एक जुलाई से छठे वेतन आयोग के अनुसार संशोधित वेतनमान देने की बात कही है। पंजाब वेतन आयोग की रिपोर्ट 31 मार्च तक आने की संभावना है। रिपोर्ट आने के बाद सरकार रिपोर्ट स्टडी करेगी। उसके बाद हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को संशोधित वेतनमान देने के लिए व्यवस्था की जाएगी।
मुख्यमत्री सदन में बजट पर चल रही चर्चा के जवाब में बोल रहे थे। बजट में सरकार की ओर से पेश की गई शगुन योजना में सीएम ने लोगों की प्रतिक्रिया को देखते हुए संशोधन किया है। इस योजना के तहत अब जाति की सीमा नहीं होगी। प्रदेश के हर वर्ग के गरीब परिवारों की बेटियों को विवाह के दौरान 31 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों एवं पेंशनरों को लगभग 5066 करोड़ के लाभ संशोधित वेतनमानों के एवज में अंतरिम रिलीफ के रूप में दिए हैं। इस राशि में से लगभग 2,320 करोड़ दिसंबर, 2017 के बाद जारी किए गए हैं। वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान कर्मचारियों को 12 प्रतिशत अंतरिम राहत दी गई है। इसके लिए 780 करोड़ खर्च किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष कह रहा है कि धरातल पर कुछ नहीं हो रहा है, लेकिन असलियत यह है कि धरातल पर ही सब कुछ हो रहा है। हमने न धरातल को छोड़ा था न छोड़ेंंगे। आज सरकार को तीन सालों का समय पूरा हो गया है। इन तीन सालों में से काम करने को सिर्फ 2 ही साल मिलेे, एक साल कोरोना खा गया। इसके बावजूद सरकार के शुरू के तीन साल कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के मुकाबले काफी बेहतर है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार करुणामूलक आश्रितों को नौकरी देने के लिए रास्ता निकालने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि करुणामूलक आश्रितों को नौकरी देने के लिए विचार किया जा रहा है। इसके अलावा पुलिस कर्मचारियों के अनुबंध काल को घटाने के सवाल पर उन्होंने का कि पुलिस कर्मचारी अनुबंध पर नहीं है। पुलिस कर्मचारियों की सीधी नियमित नियुक्ति दी जाती है।
कर्ज लिए बिना विकास करना संभव नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष की ओर से कर्ज लेने की बात पर कही जा रही थी, लेकिन आज स्थिति यह है कि ऋण के बिना विकास कार्यों को गति देना असंभव है। आज भले ही हिमाचल प्रदेश का कर्ज 60 हजार करोड़ से ऊपर पहुंच गया है, लेकिन सच्चाई यह है कि 47 हजार करोड़ रुपये का ऋण पिछले सरकार से विरासत में मिला है।