नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक दल और कारोबारी समूह अपना अखबार शुरू कर अपने निहित हितों को बढ़ावा दे रहे हैं और पत्रकारिता के मूल्यों के साथ समझौता कर रहे हैं। फेक न्यूज की समस्या को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि समय आ सकता है जब मीडिया संस्थानों को पत्रकारों के लिए आचार संहिता बनाने की जरूरत पड़ सकती है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस और पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे जाने के लिए भारतीय प्रेस परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को नायडू संबोधित कर रहे थे। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर भी कार्यक्रम में मौजूद थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कारोबारी समूह और राजनीतिक दल अपने निहित हितों को बढ़ावा देने के लिए अपने अखबार और टेलीविजन चैनल भी शुरू कर रहे हैं। इससे पत्रकारिता के मूल्यों से समझौता हो रहा है। उन्होंने कहा, राजनीतिक दल और नेता अपने अखबार शुरू कर रहे हैं। वे अखबार कहते हैं लेकिन उन्हें न्यूजलेटर कहना चाहिए।
उन्होंने कहा, यह एक अवांछनीय प्रवृत्ति है जो हमारी व्यवस्था में व्याप्त है। अपने व्यावसायिक हित की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए, अपने प्रतिद्वंद्वियों को नकारात्मक तरीके से दिखाने के लिए, आप इसका (मीडिया) इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों से खबरों को सनसनीखेज बनाते समय सावधानी बरतने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि खबरों को सनसनीखेज बनाना आम बात हो गई है, सनसनीखेज समाचार का मतलब है निरर्थक समाचार।
उन्होंने कहा, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया से स्मार्टफोन पर मिनट-मिनट अलर्ट आता रहता है, ऐसे में पत्रकारों को ज्यादा सावधान रहना होगा और फर्जी समाचार, मिथ्या सूचना से रक्षा करनी होगी। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि आज पेड न्यूज की तुलना में फेक न्यूज बड़ा संकट बन गया है। उन्होंने कहा, प्रेस के लिए यह दिन अपनी आजादी के साथ जिम्मेदारी को भी समझने का है। आज पेड न्यूज से ज्यादा फेक न्यूज का संकट है।