एजेंसी। वॉशिंगटन
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भारत से लगती सीमा पर तनाव भड़काने और रणनीतिक दक्षिण चीन सागर में सैन्य तैनाती को लेकर चीनी सेना की आलोचना की है और चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को शरारती तत्व करार दिया है। चीन सरकार पर तीखा हमला करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) नाटो जैसे संस्थानों के जरिए स्वतंत्र विश्व बनाने के लिए की गई सभी प्रगति को नष्ट करना चाहती है और बीजिंग की सुविधा के अनुसार नए नियम-शर्त अपनाना चाहती है।
पोम्पिओ ने गलवान घाटी में हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की जान जाने पर भाारत के प्रति संवेदना व्यक्त करने के एक दिन बाद कहा, पीएलए (जन मुक्ति सेना) ने विश्व के सर्वाधिक आबादी वाले लोकतंत्र भारत से लगती सीमाओं पर तनाव भड़का दिया है। यह दक्षिण चीन सागर का सैन्ईकरण कर रहा है तथा वहां अवैध रूप से और अधिक क्षेत्र पर दावा कर रहा है तथा महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों का खतरा पहुंचा रहा है।
चीन प्रचुर संसाधनों से युक्त लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है और उसने सेनकाकू द्वीप पर भी दावा किया है जो पूर्वी चीन सागर में जापान के नियंत्रण में है। वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी दक्षिण चीन सागर पर दावा करते हैं। अमेरिका इस क्षेत्र में नौवहन की स्तंत्रता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर अपने नौसैन्य पोतों तथा लड़ाकू विमानों की तैनाती करता रहा है। पोम्पिओ ने 2020 कोपनहेगन लोकतंत्र शिखर सम्मेलन के दौरान यूरोप और चीन चुनौती विषय पर अपने डिजिटल संबोधन में कहा कि वर्षों से पश्चिम, आशा के युग में, मानता रहा है कि वह सीपीसी को बदल सकता है और साथ ही चीनी लोगों के जीवन में सुधार ला सकता है। उन्होंने कहा, सीपीसी ने हमें यह आश्वस्त करते हुए कि वह सहयोगात्मक संबंध चाहती है, हमारी सद्भावना का लाभ उठाया। जैसा कि (पूर्व चीनी राजनीतिक नेता) डेंग चिआओपिंग ने कहा था कि अपनी शक्ति छिपाओ, अपने समय पर काम करो। मैं दूसरी जगहों पर भी इस बारे में बोल चुका हूं कि ऐसा क्यों हुआ। यह एक जटिल कहानी है। इसमें किसी की कोई गलती नहीं है।