संबोधन : मानवाधिकार दिवस पर आदर्श कारागार कंडा में बोले राज्यपाल दत्तात्रेय, चित्रकला और गायन प्रतियोगिता के प्रतिभागी जेल बंदियों को बांटे पुरस्कार
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार को शिमला के निकट आदर्श केंद्रीय कारागार कंडा में कारागार एवं सुधार विभाग द्वारा आयोजित मानवाधिकार दिवस की अध्यक्षता की। राज्यपाल ने कहा कि लोकतंत्र तभी प्रभावी रूप से विकसित हो सकता है, जब लोगों को उनके अधिकारों और विशेष अधिकारों सहित अपने कर्र्तव्यों और जिम्मेदारियों का ज्ञान हो।
उन्होंने कहा कि सत्य, अहिंसा और प्रेम की राह पर चलने वाले व्यक्ति के अधिकार कोई नहीं छीन सकता। मानवता सर्वोपरि है और सुधार लाकर जीवन में सकारात्मक बदलाव संभव है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार प्राकृतिक अधिकार हैं, जिन्हें बिना किसी भेदभाव के सभी मनुष्यों को दिया गया है। प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1948 में यूनिवर्सल ह्यूमन राइट्स डेक्लेरेशन को अपनाया था।
दत्तात्रेय ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों के संरक्षण के भीतर अपनी प्रतिबद्धता में विशिष्ट रहा है। मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता हमारी संस्कृति का हिस्सा है और हमने सदैव दूसरों के मानवाधिकारों को सम्मान दिया है। राज्यपाल ने कहा कि मानवीय गरिमा के लिए गरीबी संभवत सबसे बड़ा तिरस्कार है और एक सही लोकतांत्रिक भारत को आकार देने में एक बड़ी चुनौती भी। हम सभी गरीबी उन्मूलन के लिए प्रयासरत हैं। भारत में शिक्षा के अधिकार को राज्य की नीति का एक प्रमुख सिद्धांत बनाने के कदम उठाए हैं। महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि हिमाचल प्रदेश कारागार विभाग ने जेल बंदियों के मानवाधिकारों के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। उनके लिए विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि रिहाई के बाद वे स्वरोजगार आरंभ कर स्वयं को समाज की मुख्य धारा से जोड़ सकें।उन्होंने चित्रकला और गायन प्रतियोगिता में भाग लेने वाले जेल बंदियों को पुरस्कार भी वितरित किए। कारागार एवं सुधार विभाग के पुलिस महानिदेशक सोमेश गोयल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सभी कारागारों में मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
उनका कौशल विकास किया जा रहा है, ताकि रिहा होने के बाद वे स्वयं को किसी कार्य से जोड़ सकें। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से हर काराकार में चिकित्सा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष जेल बंदियों को मजदूरी के रूप में 1.20 करोड़ रुपये दिए गए। इसके अतिरिक्त महिला जेल बंदियों को हथकरघा, सिलाई और बुनाई का प्रशिक्षण भी दिया गया। केंद्रीय कारागार कंडा के जेल बंदियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए।