हिमाचल दस्तक : विजय कुमार : संपादकीय :
प्रदेश में इस सीजन में जमकर हो रही बर्फबारी काफी कहर ढा रही है। यहां बर्फबारी होना नई बात नहीं है। हर साल सर्दियों में ऐसा होता है। पर्यटन कारोबार भी बर्फबारी के कारण नई ऊंचाई को छूता है। मगर इस साल मौसम कुछ ज्यादा ही कड़े तेवर दिखा रहा है। भारी बर्फबारी के कारण करीब सात लोगों की मौत हो चुकी है।
वहीं बर्फ पर फिसलने से करीब 250 लोग घायल हो चुके हैं। आम जनजीवन प्रभावित हुआ है, सो अलग। प्रदेश के सभी अहम विभागों को बर्फबारी के कारण खासा नुकसान हो रहा है। सभी विभागों की सांसें जनजीवन को सामान्य बनाने के लिए फूल रही हैं। वे कुछ हद तक अपने काम को निपटा ही रहे हैं कि फिर से मौसम कहर बरपा दे रहा है। कई क्षेत्रों का संपर्क सड़कों के बंद होने के कारण शेष दुनिया से कट गया है। पेयजल, बिजली और दूरसंचार सेवाएं भी बुरी तरह से चरमरा गई हैं। कुछ क्षेत्रों के लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। मरीजों और बुजुर्गों के लिए यह मौसम और भी खतरनाक साबित हो रहा है।
इस प्राकृतिक कहर को रोकना किसी के बस में नहीं है। न ही इससे होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। मगर प्रशासन की मुस्तैदी से लोगों को काफी राहत मिलती है। प्रशासन अपने इस दायित्व को बखूबी निभा भी रहा है। उसे जरूरत है तो लोगों के सहयोग की। स्थानीय लोग और पर्यटक प्रशासन की हिदायतें माने तो जानी नुकसान को कम किया जा सकता है। कई बार प्रशासन की हिदायतों को नजरअंदाज करना भी जानलेवा साबित होता है।
प्रशासन आये दिन ऊंचे क्षेत्रों में न जाने की एडवाजरी जारी करता है। मगर पर्यटक और स्थानीय लोग इसे नजरअंदाज कर बर्फबारी से खतरनाक हो चुके क्षेत्रों का रुख करते हैं। यह रवैया भी हादसों का कारण बनता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पर्यटक हिमाचल में बर्फबारी देखने और मौज-मस्ती के लिए आते हैं। मगर मौज-मस्ती जिंदगी से कीमती तो नहीं हो सकती है। बर्फबारी के दौरान प्रशासन की एडवाजरी को मानने में ही सबकी भलाई है।