चंद्रमोहन चौहान। ऊना
अगर किसी की लॉकडाऊन के दौरान नौकरी चली गई है, तो उनके बच्चे निजी स्कूल में नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए बाकायदा अभिभावकों को प्रधान या फिर संबंधित कंपनी से नौकरी से निकालने बारे लिखित होना जरूरी है।
यह निर्णय प्राइवेट, सीबीएसई स्कूल एवं हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों की बैठक के दौरान लिया गया। बैठक की अध्यक्षता सीबीएसई स्कूल के अध्यक्ष सुमेश शर्मा ने की। बैठक में विभिन्न स्कूलों के एमडी, डायरेक्टर व अध्यक्ष मौजूद रहे। बैठक में स्कूलों में आ रही फीस संबंधी समस्याओं पर भी विचार-विमर्श किया। सीबीएसई स्कूल के अध्यक्ष सुमेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने किसी भी स्कूल की फीस माफ नहीं की है, सिर्फ फीस को कम किया है।
उन्होंने कहा कि बिना फीस से स्कूल चलाने काफी मुश्किल हो गए हैं। पिछले तीन माह से स्कूल स्टाफ को तो सैलरी दे दी है, लेकिन अभी तक बच्चों की कोई भी फीस नहीं आई है। मात्र स्कूलों में 10 से 15 प्रतिशत तक ही फीस आई है। सुमेश ने कहा कि कुछ स्वार्थी लोग लॉकडाउन का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल में करीब 60 प्रतिशत से अधिक बच्चे अधिकारियों, कर्मचारियों, सर्विसमैन, एक्स सर्विसमैन, सेंटर गवर्नमेंट के इंप्लाई पढ़ते हैं। बावजूद इसके फीस नहीं जमा करवाई है, जबकि उन्हें सही समय पर सैलरी मिल रही है।
उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कि अगर किसी परिवार या अभिभावक की लॉकडाउन के दौरान नौकरी चली गई है, जिसका वह सर्टिफिकेट देता है, तो उनके बच्चों की तब तक फीस माफ करेंगे, जब तक पुन: नौकरी नहीं लग जाती है। उन्होंने कहा कि मार्च से जून तक 10 प्रतिशत फीस आना चिंताजनक है, जिससे स्कूलों का वित्तीय ढांचा गड़बड़ा गया है, क्योंकि सभी स्कूलों का निजी मासिक खर्चा ही 5 से 25 लाख तक बैठता है।