देवेंद्र गुप्ता। सुंदर नगर:
वैसे तो महिलाओं और लड़कियों के उत्थान के लिए सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे कई कार्यक्रम शुरू कर रखे हैं। मगर देश में एक ऐसा पुरुष वर्ग भी है जो अपनी पत्नियों की वजह से पीड़ित है और उनकी दास्तां सुनने वाला कोई नहीं है। क्योंकि कानून की जटिलता के चलते इन पुरुषों की कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है।
इसी के चलते सुंदर नगर के निवासी संदीप भारद्वाज ने देश में पत्नी पीड़ित पुरुष आयोग बनाने की मांग के लिए पिछले दिनों देश की जंतर- मंतर पर आंदोलन भी किया था। उन्होंने बताया कि देश में धारा 498 की आड़ में जो प्रताड़ित करने का धंधा चला हुआ है । उसी के लिए उन्होंने सरकार और कानून के जानकारों से गुहार लगाई है कि इस धारा की आड़ में महिलाओं के द्वारा जो अपने पतियों को प्रताड़ित किया जा रहा है । उस से बचाने के लिए देश में एक ऐसा आयोग भी बनना चाहिए जो पुरुषों की यथास्थिति पर गौर करें और दिन प्रतिदिन कानूनी पचड़े में उलझे पतियों को राहत दे सके।
संदीप ने बताया कि वह इस विषय को लेकर एक लघु फिल्म जिसका हिंदी टाइटल ” विश्वभ्रमणिक शादी की घंटियाँ ” का निर्माण कर रहे हैं । जिसमें ऐसे ही पीड़ित पुरुषों की कहानी के जरिए इसे उजागर किया जाएगा । उन्होंने कहा कि कुछ महिलाओं द्वारा कानून की आड़ में जिस तरह से दुरुपयोग कर रहीं हैं , उस पर गहरी जांच होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि एक महिला के द्वारा जब अपने पति को कानूनी तौर पर प्रताड़ित किया जाता है तो उससे न केवल पति प्रताड़ित होता है बल्कि उसके मां-बाप, उसके परिजन और उसके बच्चों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है ।
उन्होंने कहा कि आज देश में पीड़ित पति बहुत हैं । मगर उनकी व्यथा सुनने वाला न कोई संगठन है और ना ही कानूनी तौर पर कहीं वह अपना अधिकार रखने में सक्षम हो पा रहे हैं । क्योंकि पत्नी द्वारा दायर मुकदमों में उन्हें ऐसा उलझाया जा चुका होता है कि वह कोर्ट के ही चक्कर लगाने तक सीमित रह गए हैं। उनका कहा कि इन्हीं वजह से उन्होंने अपने पीड़ित जानकार पतियों के हित के लिए जंतर- मंतर पर धरना दिया। ताकि देश में पत्नी पीड़ित पुरुष आयोग बनाने के लिए एक अभियान भी शुरू हो सके। इसी अभियान का हिस्सा उपरोक्त फिल्म भी होगी । जिसे जल्द ही आम जन के लिए रिलीज किया जाएगा ।
उनका कहना है कि आज के समय में कुछ महिलाओं ने शादी को महज ब्लैक मेलिंग का कारोबार बना के रखा हुआ है। देश में महिलाओं की बात सुनने के लिए कोर्ट और सरकार तो तैयार रहती हैं । मगर सही में इन्होंने कानून की आड़ में जो पुरुष पीड़ित हो रहे हैं उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि देश में पीड़ित पुरुषों की संख्या से अब देश में भी महिला आयोग की तर्ज पर पुरुष आयोग भी बनाया बनाए जाने की वकालत की जा रही है।
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार द्वारा आईपीसी की धारा 498 घरेलू हिंसा का दुरुपयोग करने वाली महिला और उसके परिवार को दंडित करने का प्रावधान हो। उन्होंने कहा कि हिमाचल में भी पांच से सात सौ महिला पीड़ित पति हैं ।