- दवाओं और उपकरणों की खरीद को बनाया प्रोक्योरमेंट सेल
- पीएचसी से मेडिकल कॉलेज तक की खरीद अब सेल करेगा
- हर आइटम की स्पेशिफिकेशन के लिए भी अलग कमेटियां
राजेश मंढोत्रा। शिमला : आयुर्वेद विभाग में जैम पोर्टल से सांठ-गांठ कर हुए खरीद घोटाले से सबक लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अपनी खरीद प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। विभाग ने अपने यहां दवाओं और उपकरणों की खरीद के लिए पहली बार अलग से प्रोक्योरमेंट सेल बनाया है। अतिरिक्त निदेशक सुमित खिमटा को इसका अध्यक्ष और डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रमेश को इसमें सदस्य सचिव रखा है। अन्य सदस्य क्लैरिकल और कंसल्टेंट्स में से हैं।
नई बात यह है कि अब राज्य में पीएचसी से मेडिकल कॉलेज तक होने वाली दवाओं और उपकरणों की खरीद अब यह सेल ही करेगा। सेल ने चार तरह की खरीद के लिए प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। खरीदी जाने वाली हर आइटम की स्पेशिफिकेशन के लिए भी अलग कमेटियां बनाई गई हैं। यह प्रोक्योरमेंट सेल अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य आरडी धीमान के मार्गदर्शन में काम करेगा। सेल को किसी भी परचेज की प्रक्रिया पूरी करने का काम दिया गया है। यह सेल सीएमओ या मेडिकल कॉलेज को खरीद के लिए सोर्स या सेलर चुनकर देगा। यह चयन ई-टेंडरिंग से होगा। जो एल वन होगा, उसी का चयन इस प्रक्रिया से होगा।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि पारदर्शिता के कारण रेट कम होंगे और पूरे प्रदेश में एक ही रेट पर एक आइटम ली जा सकेगी। सेल बनने से पहले हर मेडिकल कॉलेज और सीएमओ अपने-अपने स्तर पर खरीद करते थे, जिसमें एक ही आइटम के रेट में बहुत अंतर होता था। राज्य में वैसे भी पीएचसी तक के लिए इंडेंटिंग ऑफिसर सीएमओ हैं। हर जिले के सीएमओ अपनी जरूरत के अनुसार ऑर्डर सेल को देंगे और सेल इस खरीद प्रक्रिया को पूरा करेंगे, जबकि सामान लेने और इसे वैरिफाई करने की जिम्मेदारी संबंधित जिला के सीएमओ या मेडिकल कॉलेज एमएस की होगी। इस प्रक्रिया के दायरे में स्वास्थ्य विभाग के अलावा निदेशक चिकित्सा सेवाएं भी होंगे।
जैम पोर्टल की बाध्यता नहीं
स्वास्थ्य विभाग में इस सेल के गठन के बाद अब जैम पोर्टल से ही सामान खरीदने की बाध्यता नहीं है। हालांकि बहुत से विभाग आजकल जैम पोर्टल से ही खरीद कर रहे हैं। आयुर्वेद विभाग में जैम पोर्टल से हुई खरीद पहले ही विवादित हो चुकी है और इसमें पूर्व निदेशक और तकनीकी कमेटी चार्जशीट हो चुकी है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग का नया प्रोक्योरमेंट सेल इस पोर्टल पर खरीद के लिए नहीं जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग में हर साल सैकड़ों करोड़ की दवाओं और उपकरणों की खरीद होती है। पहले कोई एक व्यवस्था नहीं थी, इसलिए हमारी सरकार ने इसके लिए एक ही सेल बनाया है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
-विपिन परमार, स्वास्थ्य मंत्री