हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
हिमाचल के सुपरिचित कहानीकार, लेखक व संपादक बद्री सिंह भाटिया का दिल्ली में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। चार दिन पहले ही उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर बीमारी से संबंधित स्टेट्स अपडेट किया था। भाटिया ने लिखा था कि सूखी खांसी और बुखार से पूरा परिवार ग्रस्त है। तबीयत खराब होने पर उन्हें दिल्ली में ही अस्पताल में भर्ती करवाया गया। शनिवार सुबह उनके निधन की खबर आई। आशंका जताई जा रही है कि वे कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। फिलहाल, उनके कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि नहीं है। भाटिया के निधन से साहित्यिक जगत में शोक की लहर है। उन्होंने कई कहानी संग्रह लिखे थे। वे हिमाचल सरकार की पत्रिका हिमप्रस्थ व साप्ताहिक पत्र गिरिराज के संपादन से जुड़े थे। सेवानिवृति के बाद वे जमकर लेखन व साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय थे।
बीमारी के बावजूद वे हंसमुख चेहरे के साथ सभी से मिलते थे। ब्रदी सिंह भाटिया को उनके उपन्यास -पड़ाव- पर हिमाचल अकादमी का कथा पुरस्कार मिला था। ये उपन्यास नेपाल के श्रमिकों पर केंद्रित था और काफी चर्चित रहा था। कुछ समय पहले ही उनका कहानी संग्रह-पाजे के फूल आया था। भाटिया ने आरंभ में एक कविता संग्रह भी निकाला था। उनके खाते में कई कहानी संग्रह, उपन्यास आदि थे। भाटिया की कहानियां लोक जीवन और पहाड़ी इलाकों में उद्योगों के कारण बिगड़ते पर्यावरण की चिंताएं लिए हुए हैं। बद्री सिंह भाटिया का जन्म 2 जुलाई 1947 को अर्की जिला सोलन में हुआ था। उन्होंने एमए हिंदी की डिग्री हासिल की थी। गिरिराज व हिमप्रस्थ में उन्होंने लंबे समय तक संपादन सेवाएं दीं। उनके निधन पर देश के चर्चित कथाकार एसआर हरनोट, विख्यात लेखक केशव, कवि लेखक कुलराजीव पंत, लेखक-पत्रकार कृष्ण भानु, कवि आत्मारंजन, लेखक गुप्तेशवर नाथ उपाध्याय, कवि गुरमीत बेदी सहित अन्य कई लेखकों ने शोक जताया है। हिमाचल सरकार के जनसंपर्क विभाग ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। फिलहाल, उनका अंतिम संस्कर दिल्ली में ही किए जाने की सूचना है।