शिमला:
दवा कंपनियों के उत्पादों व खाद्य पदार्थों के सैंपलों को जांच के लिए अब अन्य राज्यों की प्रयोगशालाओं में नहीं भेजा जाएगा। इसके लिए सरकार ने कंडाघाट की केंद्रीय जांच प्रयोगशाला (सीटीएल) में छह करोड़ रुपये की नवीनतम तकनीक की मशीनें स्थापित कर दी हैं। इसके अलावा बद्दी में दो ड्रग टेस्टिंग लैब बनाई जा रही हैं।
इनमें एक लैब स्वास्थ्य विभाग तो दूसरी केंद्र सरकार के सहयोग से उद्योग विभाग स्थापित कर रहा है। दवा कंपनियों के फेल हो रहे सैंपलों पर भी स्वास्थ्य विभाग सख्त रवैया अख्तियार करने जा रहा है। स्वास्थ्य, कार्मिक और पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में कुल दवाओं का करीब 35 प्रतिशत उत्पादन हो रहा है। ऐसे में कुछ उद्योगों में बनी दवाओं के सैंपल भी मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। सरकार ने ऐसे उद्योगों को साफ चेतावनी जारी कर दी कि यदि किसी उद्योग के सैंपल बार-बार फेल होंगे तो उनका लाइसेंस रद किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि फिलहाल ऐसा कोई उद्योग नहीं है, जिसका सैंपल बार-बार फेल हो रहा हो। उन्होंने बताया कि सोलन जिला के कंडाघाट में स्थिति केंद्रीय जांच प्रयोगशाला (सीटीएल) में छह करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक मशीनें स्थापित कर दी गई हैं और यहां रिक्त पड़े सीनियर साइंटिस्ट के पद को भी तुरंत भर दिया जाएगा। इससे प्रदेशभर के खाद्य सैंपलों का परीक्षण कंडाघाट में ही जल्द संभव हो सकेगा। हालांकि अभी तक भी कंडाघाट की प्रयोगशाला में सैंपलों का परीक्षण हो रहा है, लेकिन अत्याधुनिक मशीनों से यह जल्द संभव हो पाएगा।
आरडी धीमान ने बताया कि बद्दी में दो ड्रग टेस्टिंग प्रयोगशालाओं का निर्माण किया जा रहा है। इनमें एक स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाई जा रही है, जबकि दूसरी प्रयोगशाला केंद्र सरकार के सहयोग से उद्योग विभाग स्थापित कर रहा है। इन प्रयोगशालाओं के शुरू होते ही प्रदेश में बन रही अधिकतर दवाओं की जांच संभव हो पाएगी और रिपोर्ट भी तुरंत आ सकेगी। उन्होंने कहा कि सरकार के आदेश हैं कि दवा उद्योगों की हर माह मॉनीटरिंग की जाए और घटिया दवाओं के निर्माण के दोषी उद्योगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए।