विजय ठाकुर। सरकाघाट
मंडी जिले के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत बिंगा के बिंगा गांव में इन दिनों अरबी (कचालू) व अदरक निकालने का कार्य किसानों द्वारा खत्म कर दिया गया है और इस बार भी गत वर्षों की भांति इन फसलों की बंपर फसल है।
गौर हो कि इस गांव के किसानों द्वारा रासायनिक खाद का इस्तेमाल अपनी फसलों पर नहीं किया जाता है। अरबी (कचालू ) व अदरक के लिए तो लोग जैविक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं। यहां के किसानों द्वारा कैंचुआ पिट बनाए गए हैं तथा किसानों द्वारा इसमें तैयार खाद का ही इस्तेमाल किया जाता है।
गौरतलब है कि इस अरबी की मांग इस क्षेत्र के अलावा दूसरे जिलों से भी ज्यादा रहती है, जिस कारण यहां व्यापारी कचालू को खरीदने के लिए आते हैं। यहां के कचालू अन्य क्षेत्र के कचालू की अपेक्षा अधिक स्वादिष्ट होते हैं। यहां के कचालू रेशेदार, बल्कि खुश्क होते हैं, इसलिए यह ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं और लोग इन्हें पसंद करते हैं।
गांव के किसानों को इनको बेचने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता है लोग यहीं से आकर ले जाते हैं, जिसके लिए किसानों को ऑर्डर आना शुरू हो गए हैं। इस बार यहां की कचालू 50 से 60 रुपये प्रतिकिलो के बीच बिक रही है।
किसानों का कहना है कि इस बार तो पतंजलि से जुड़े लोग भी उनसे संपर्क कर रहे हैं। लोगों द्वारा पिछले कई वर्षों से बंदरों के आंतक की वजह से परंपरागत खेती से मुंह मोड़ लेने के बाद इन फसलों की ओर रुझान बढ़ा जिसका गांव के किसानों को फायदा भी मिल रहा है।
गांव के किसान ओम प्रकाश, अजीत सिंह, आशा राम कहना है कि वह कचालू व अदरक की फसल से 30 से 40,000 कमा लेते हैं। गांव के अन्य किसानों मोहनलाल, विपिन कुमार, मेहर सिंह, बालम राम, नत्था सिंह, भीम सिंह, आसाराम रामसरन, सुनील, दुनीचंद, कपिल देव, प्रेम सिंह आदि का भी कहना है कि इन फसलों से जहां उनकी आर्थिकी में इजाफा हुआ है, वहीं बंदरों के आतंक से भी उन्हें निजात मिली है, क्योंकि बंदर इन फसलों को नहीं खाते हैं।
इन किसानों का कहना है कि सरकार व विभाग उनकी इन फसलों को मार्केट में बेचने की व्यवस्था करें। इस वर्ष 1500 क्विंटल कचालू होने का अनुमान इस गांव के किसानों द्वारा लगाया जा रहा है।