हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : एससी-एसटी वर्गों के लिए विधानसभाओं और संसद में आरक्षण को दस साल और बढ़ाने के लिए सदन में रखे गए विधेयक की बहस काफी दूर तक चली गई। बात नागरिकता संशोधन कानून से होते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू, वामपंथ से होते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर खत्म हुई।
हालांकि आखिर में सभी ने सर्वसम्मति से बिल को पारित कर दिया। चर्चा के दौरान जब भाजपा विधायक बलबीर सिंह ने देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू को लेकर कोई कमेंट किया तो नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने आरोप लगाया कि आरएसएस शुरू से आरक्षण विरोधी रहा है। इसके बाद दोनों ओर से हंगामा हो गया। बाद में मामला शांत कर विधानसभा अध्यक्ष ने खुद व्यवस्था दी और कहा कि न तो संघ के बारे में ऐसी टिप्पणी स्वीकार्य है, न ही हमें पहले प्रधानमंत्री को लेकर ऐसा कुछ कहना चाहिए। पूरी बहस में किसने क्या कहा, यहां देखिए…
देश का सेकुलर चेहरा न बदले भाजपा : हर्षवर्धन
शलाई से कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि आरक्षण के इस संवैधानिक प्रावधान को आगे बढ़ाने के लिए यह बिल लाया गया है। लेकिन आपकी सरकार जो सीएए जैसे कानून ला रही है, वे संविधान की मूल भावना के खिलाफ है, क्योंकि ये देश सेकुलर फैबरिक पर टिका है। आज देश में जो आवाजें उठ रही हैं, वे चिंताजनक है।
आरक्षण पर ऐसे डराती थी कांग्रेस : बलबीर
चंतपूर्णी से विधायक बलबीर चौधरी ने कहा कि आज आरक्षण का केे्रडिट लेने वाली कांगे्रस पार्टी ने कई साल डरा डराकर ही चुनाव जीते हैं। हमारी बिरादरी में आकर डर फैलाते थे कि भाजपा आई तो आरक्षण खत्म कर देंगे। जबकि असलियत यह है कि भाजपा ने ही इस आरक्षण को आगे बढ़ाने की सोची और करके दिखाया।
हमें मनुवाद से आजादी चाहिए: नेगी
कांगे्रस विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि देश को जातिवाद के दौर में झोंकने वाली मनुवादी सोच से हमें आजादी चाहिए। हमें भाजपा से आजादी चाहिए। वो यह भी कह गए कि हम 15 अगस्त को आजाद हुए, लेकिन 14 अगस्त को आजाद हुए भी हमारे भाई हैं। यानी पाकिस्तान। नेगी के कई बयानों पर सत्तापक्ष का उनसे टकराव भी हुआ। इसके अलावा कांग्रेस विधायक नंद लाल, आशा कुमारी, कर्नल शांडिल और माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी अपनी बात रखी।
इस बिल पर चर्चा की जरूरत नहीं : मार्कंडेय
एसटी सीट से चुनकर आए कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने कहा कि संसद से पारित यह बिल यहां केवल अनुसमर्थन के लिए रखा गया है। यहां चर्चा की जरूरत नहीं है। ऐसा इसलिए है कि चर्चा से निकले सुझाव अब इसमें शामिल नहीं हो सकते। केवल देश की 50 फीसदी विधानसभाओं में इस पर मुहर लगाई जानी है।
प्रण करें कि 10 साल में सुधार हो : पठानिया
भाजपा विधायक राकेश पठानिया ने कहा कि सही बात तो यह है कि बिल पर चर्चा का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इससे काफी अंतर नहीं आने वाला। इसलिए हमें यह प्रण करना चाहिए कि अगले 10 साल में दलितों के प्रति रुख में सुधार हो। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की अगुआई में देश में लोगों के अच्छे दिन आ रहे हैं और आगे भी आएंगे।