शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों की हो गई ट्रेनिंग, कुल्लू-ऊना अगले चरण में अभी केवल मंडी ऑनलाइन
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : इन्वेस्टर मीट में हुए एमओयू को निवेश के रूप में बदलने के लिए राज्य सरकार टैनेंसी एंड लैंड रिफाम्र्स एक्ट की धारा 118 की प्रक्रिया को सरल एवं पारदर्शी करना चाहती है। इसके तहत अभी तक केवल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी को ऑनलाइन किया गया है। अब अगले चरण में पांच जिलों को और इसमें जोड़ा जा रहा है। ये पांच जिले वे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा केस धारा 118 के आते हैं।
इनमें से शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों के स्टाफ की ट्रेनिंग दो दिन पहले ही पूरी हुई। अब कुल्लू और ऊना की ट्रेनिंग शुरू हो रही है। राजस्व विभाग ने अगले 15 दिन में इन सभी जिलों में ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू करने का टारगेट तय किया है। इस ऑनलाइन प्रोसेस में आवेदन से लेकर मंजूरी या खारिज होने के फैसले में कुल एक महीने का वक्त लगेगा। डीसी के पास 15 दिन और फिर सरकार के पास भी 15 दिन। इससे पहले ये प्रक्रिया टाइम बाउंड नहीं थी। उद्योगपतियों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। पटवारी तक चक्कर काटने के कारण आधा निवेश अटक जाता था।
अब सरकार ने ईसी के लिए गैर जरूरी छह एनओसी को भी हटा दिया है। इससे प्रक्रिया और तेज हो गई है। हाल ही में धर्मशाला में हुई इन्वेस्टर मीट में करीब 93,000 करोड़ के एमओयू प्रदेश में निवेश के लिए हुए हैं। इनमें से पहले होने वाले निवेश को जमीन पर उतारने के लिए सरकार ने 27 दिसंबर 2019 के डेडलाइन रख दी है। इस दिन जयराम सरकार के दो साल पूरे हो रहे हैं और इसी दिन इस कार्यक्रम में इस निवेश की ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी भी होगी। इसलिए मुख्यमंत्री ने सरकारी महकमों को धारा 118 की ऑनलाइन प्रक्रिया और लैंड बैंक फाइनल करने पर जोर देने को कहा है।
गैर जरूरी आपत्ति पर शिकायत भी कर सकेंगे निवेशक
धारा 118 की ऑनलाइन प्रक्रिया में राज्य सरकार ने एक और फीचर जोड़ दिया है। इस आवेदन को निवेशक खुद ऑनलाइन टै्रक कर सकते हैं। लेकिन साथ ही यदि किसी विभाग या अधिकारी ने आवेदन पर कोई गैर जरूरी आपत्ति लगाई तो उद्योगपति वहीं से इसकी शिकायत ऑनलाइन ही हिम प्रगति पोर्टल पर कर सकेगा। यहां मुख्य सचिव से लेकर सभी प्रशासनिक सचिव इसे सुलझाएंगे। इस पोर्टल को मुख्यमंत्री अपने डैश बोर्ड से खुद देखते हैं।