अनूप शर्मा । बिलासपुर
बिलासपुर की गोविंद सागर झील में इस वर्ष पिछले साल के मुकाबले 7 टन अधिक मछली पकडी गई है। यहां पर यह जानकारी देते हुए निदेशक एवं प्रारक्षीए मत्स्य सतपाल मैहता ने बताया कि प्रदेश के जलाश्यों एवं सामान्य नदी नालों व सहायक नदियों में 12 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाने में लगे हैं। वर्तमान में प्रदेश के पांच जलाश्यों जिसमें गोबिंदसागरए पौंगए चमेराए कोलडैम एवं रणजीत सागर जिनका क्षेत्रफल 43785 हैक्टेयर के करीब है। इन जलाश्यों में 5300 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं। जबकि प्रदेश के सामान्य जलों जिनकी लंबाई 2400 किमी के लगभग है। जिसमें 6000 से अधिक मछुआरे फैंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य में लगे हैं। मत्स्य पालन विभाग का है।
उन्होंने बताया कि विशाल मानव निर्मित जलाश्यों की सघन निगरानी करना विभाग के लिए चुनौती से कम नहीं है परंतु मत्स्य विभाग इस चुनौती के समाधान के लिए प्रतिवर्ष सामान्य जलों में दो माह के लिए मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। क्योंकि इस अवधि में अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं।
जिससे इन जलों मे स्वतः मछली बीज संग्रहण हो जाता है। निदेशक ने बताया कि इस कार्य के लिए विभाग को मत्स्य धन संरक्षण का कार्य बड़ी तत्परता से करना पड़ता है। प्रदेश के जलाश्यों में मत्स्य धन संरक्षण हेतु विशेष कर्मचारी बल तैनात कर कैम्प लगाये जाते हैं जिससे ये कर्मचारी जल एवं सड़कए दोनों मार्गो से गश्त कर मत्स्य धन की सुरक्षा करते हैं।
उन्होंने बताया कि पहले यह बन्द सीजन 16 जून से 15 अगस्त 2021 तक बन्द सीजन का कार्यान्वयन किया गया। इस दौरान अवैध मत्सय आखेट के 159 मामले पकडे गए जिससे सरकार को लगभग 1ण्35 लाख रुपये मुआवजा के रुप में प्राप्त हुए है। इस बार विभाग ने 6ण्31 लाख के करीब 70 एमएम आकार से अधिक का मत्स्य बीज इन जलाश्यों में संग्रहित किया था।
दो माह के बंद के बाद बढे़ मत्स्य उत्पादन से विभाग के साथ साथ मछुआरों का मनोबल भी बढ़ा है। गोबिंद सागर जलाश्य से 15ण्53 टन जोकि पिछले साल से 5 टन अधिकए कोलडैम से 217 किलोए पौंग जलाश्य में 10ण्40 टन जोकि पिछले साल से 3ण्37 टन अधिक तथा चमेरा से 37 किलो व रणजीत सागर से 4ण्6 टन जोकि पिछले साल से 2ण्12 टन अधिक मछली पकड़ी गई।
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