जीवन ऋषि: धर्मशाला
हिमाचल के गांवों की तस्वीर बदलने वाली मनरेगा पर संकट के बादल छा गए हैं। प्रदेश की सैकड़ों पंचायतों में रेत, बजरी, टाइल्स, पौधे आदि सप्लाई करने वाले वेंडर को पेमेंट नहीं हो पाई है। कायदेनुसार यह पेमेंट पिछले 31 मार्च तक हो जानी चाहिए थी। ऐसे में आने वाले दिनों में पंचायतों में कच्चे माल की सप्लाई पर बुरा असर हो सकता है। ये मामला सिर्फ वेंडर तक सीमित नहीं है। मामला महात्मा गांधी रोजगार गांरटी योजना से जुड़े 14 लाख जॉबकार्ड धारकों पर असर डालने वाला है।
पंचायतों में अगर कच्चा मैटीरियल नहीं होगा, तो लाखों कार्डधारकों पर बुरा असर होगा। मौजूदा समय में पंचायतों में रेत बजरी और पौधे आदि सप्लाई के लिए अलग वेंडर सेवाएं दे रहे हैं। जिम-झूले आदि के लिए अलग से वेंडर तय होता है। फिलहाल सरकार को करोड़ों की पेमेंट करनी है। शीघ्र अगर पेमेेंट नहीं हुई तो मनरेगा के कार्यों पर बड़ा असर पड़ सकता है।
हिमाचल के लिए क्यों जरूरी मनरेगा
हिमाचल की 3641 पंचायतों में मनरेगा किसी न किसी तरह जुड़ी है। प्रदेश में 86 ब्लॉक हैं। रोजगार गांरटी इतनी अहम है कि 14 लाख 67 हजार जॉबकार्ड धारक हैं। एक्टिव जॉबकार्ड धारक 8 लाख 99 हजार हैं। एक्टिव वर्कर 13 लाख 47 हजार हैं। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों की दिशा और दशा बदलने वाली है। यही कारण है कि मनरेगा को झटका लगता है, तो यह प्रदेश की आर्थिकी पर बड़ा असर डालेगी।
कांग्रेस ने बोला हमला
कांग्रेस महासचिव केवल पठानिया ने कहा कि भाजपा हमेशा मनरेगा विरोधी रही है। पठानिया ने कहा कि आए दिन उनके पास मनरेगा मजदूर और वेंडर पेमेंट न मिलने की शिकायतें करते हैं। भाजपा की कथनी और करनी में भारी अंतर है।
इस बारे में विभाग से रिपोर्ट लेंगे जहां पेंमेंट नहीं हुई है, वहां शीघ्र पेमेंट सुनिश्चित करवाई जाएगी। जल्द वस्तुस्थिति का पता लगाने की कोशिश की जाएगी।
-वीरेंद्र कं वर, पंचायती
राज मंत्री।