हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
राज्य के प्राइवेट स्कूलों की फीस को निर्धारित और नियंत्रित करने के लिए जयराम सरकार अब नया कानून ही ला रही है। पहले हिमाचल प्रदेश प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन रेगुलेशन एक्ट 1997 को संशोधित किया जा रहा था, लेकिन शिक्षा विभाग की विधि विभाग के साथ जारी चर्चा में यह विचार आया कि यदि पुराने कानून को संशोधित करना हो तो संशोधन ज्यादा हो जाएंगे, जबकि प्रक्रिया नया कानून बनाने या फिर पुराने को बदलने में एक जैसी है।
इसलिए अब नया एक्ट ही लाया जा रहा है। इस बारे में ड्राफ्ट तैयार हो गया है और शिक्षा विभाग ने इसे लॉ में भेज दिया है। 6 मार्च से पहले होने वाली कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी के लिए लाया जाएगा। यदि 6 मार्च से पहले विधि विभाग से यह नहीं आया तो बाद में बाई सरकुलेशन यह फाइल करवाई जाएगी।
शिक्षा विभाग ने टारगेट रखा है कि 10 मार्च से पहले इस बिल को सदन में रख दिया जाए। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए सत्र से पहले इसे नोटिफाई किया जाना है, ताकि प्राइवेट स्कूल शिक्षा सत्र में फीस तय करने से पहले नए कानून को पढ़ लें। तैयारी ऐसी है कि नया कानून लागू होने के बाद स्कूलों को अपनी फीस तय करने से पहले इसके कारण भी बताने होंगे और फीस ढांचे की अप्रूवल सरकार से लेनी होगी।
इसमें किसी तरह के बदलाव या संशोधन को अपने स्तर पर नहीं किया जा सकेगा। नए कानून में सरकारी निर्देश न मानने पर प्राइवेट स्कूलों पर पेनल्टी का भी प्रावधान जोड़ा जा रहा है। हालांकि सरकार का कहना है कि निजी स्कूलों के अपने अधिकारों को नहीं छेड़ा जा रहा है और क्वालिटी एजुकेशन के लिए जो भी उनके काम करने का दायरा है, उसको बरकरार रखा जाएगा।
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान ट्यूशन फीस के अलावा अन्य कोई फंड या शुल्क लेने पर लगाई गई रोक को निजी स्कूलों ने हाईकोर्ट से आए फैसले के बाद नहीं माना था। इस फैसले के बाद सरकार ने भी इस बारे में जारी निर्देशों को वापस ले लिया था। बाद में रूल्स में संशोधन कर डीसी की अध्यक्षता में एक शिकायत निवारण कमेटी बनाई गई, लेकिन इसके बावजूद कुछ प्राइवेट स्कूलों ने सभी तरह के फंड वसूलना शुरू कर दिए, जिसके कारण सरकार पर दोबारा से दबाव पड़ा था।
स्कूल फीस पर यू-टर्न से हुई थी फजीहत
कोविड-19 के समय लगे लॉकडाउन के दौरान स्कूल फीस को लेकर लिए गए यू-टर्न पर राज्य सरकार की काफी फजीहत हुई थी। इसके बाद ही सरकार को रूल्स में संशोधन करना पड़ा था।
जब इससे भी लोगों को राहत नहीं मिली, तो एक्ट बदलने का फैसला हुआ और अब नया एक्ट ही बनाया जा रहा है। शिक्षा सचिव राजीव शर्मा का कहना है कि प्रस्तावित एक्ट का मुख्य मकसद फीस को रेगुलेट करना होगा। बाकी स्कूल के अपने अधिकारों को वैसे ही रखा जाएगा।