मुंबई/दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कुछ ही समय शेष रह जाने के बीच शिवसेना विपक्षी दलों राकांपा और कांग्रेस का समर्थन हासिल करने की दिशा में सोमवार को तमाम जद्दोजहद करती नजर आ रही है। दूसरी तरफ, कांग्रेस और राकांपा भी इस दक्षिणपंथी पार्टी को अपना समर्थन देने की संभावना पर गहन मंथन कर रही है।
महाराष्ट्र में 288 सदस्ईय सदन में भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना के पास राज्य में सरकार बनाने की दावेदारी करने के लिए सोमवार को शाम साढ़े सात बजे तक का समय है। सरकार बनाने की कवायद के तहत शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने राकांपा प्रमुख शरद पवार के साथ आज मुंबई के एक होटल में मुलाकात की। उधर, केंद्रीय मंत्रिमंडल में शिवसेना के एक मात्र मंत्री अरविंद सावंत ने आज सुबह अपना इस्तीफा दे दिया।
सूत्रों ने बताया कि पवार के साथ बैठक में शिवसेना अध्यक्ष के साथ उनके बेटे आदित्य भी मौजूद थे। नई दिल्ली और मुंबई में एक के बाद एक हो रही बैठकों के बीच, सावंत ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से पार्टी के अलग होने के संकेत दिए और भाजपा पर सीटों एवं सत्ता के बराबर बंटवारे के वादे से पीछे हटने का आरोप लगाया तथा कहा कि इसी वजह से उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को संबंध तोडऩे पड़े। उनका इस्तीफा राकांपा प्रमुख शरद पवार के इस कथन के बाद आया कि उनकी पार्टी का समर्थन हासिल करने से पहले शिवसेना को पहले राजग के साथ अपने संबंध तोडऩे होंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विधानसभा चुनावों से पहले दोनों सहयोगी पार्टियों के नेताओं के बीच हुए समझौते को मानने से इनकार कर झूठ का सहारा ले रही है। भाजपा और शिवसेना के बीच गतिरोध को देखते हुए, 44 विधायकों के साथ कांग्रेस और 54 विधायकों के साथ राकांपा की भूमिका अहम है। राकांपा ने कहा है कि वह शिवसेना नीत सरकार को समर्थन देने के विषय पर अपने सहयोगी कांग्रेस के साथ मिलकर फैसला करेगी।
कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने के विषय पर अंतिम निर्णय महाराष्ट्र के नेताओं के साथ पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की शाम चार बजे होने जा रही एक बैठक में लेगी। कांग्रेस अपनी कार्य समिति की बैठक में महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा कर चुकी है।
महाराष्ट्र के लिए कांग्रेस के प्रभारी महासचिव मल्लिकार्जुन खडग़े ने सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद कहा, हम शाम चार बजे फिर से बैठक करेंगे और राज्य के नेताओं के साथ बैठक के बाद इस मुद्दे पर फैसला लेंगे। उल्लेखनीय है कि किसी विषय पर निर्णय लेने के लिहाज से सीडब्ल्यूसी कांग्रेस का शीर्ष निकाय है।
पार्टी के करीबियों ने बताया कि कांग्रेस विधायकों ने रविवार को जयपुर में इस मुद्दे पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की और जोर दिया कि वे राज्य में नए सिरे से चुनाव नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि कांग्रेस के विधायक फिर से चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं और भाजपा को सत्ता से बाहर रखना चाहते हैं इसलिए कई शिवसेना को बाहर से समर्थन देने के पक्ष में हैं। महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और सुशील कुमार शिंदे, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट और कांग्रेस विधायक दल के नेता के सी पाडवी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिलेंगे।
खडग़े ने कहा कि राज्य के नेता पार्टी नेतृत्व को अपने विचारों से अवगत कराएंगे और पार्टी उसके बाद ही अपने अगले कदम पर निर्णय करेगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम एम पल्लम राजू ने कहा, हमने दक्षिणपंथी पार्टी से हमेशा से दूरी बनाए रखी है जो कि शिवसेना है। उनके आंतरिक मतभेदों ने महाराष्ट्र में यह स्थिति पैदा कर दी है। मुंबई में, राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा कि राज्य में लोगों की दशा को ध्यान में रखते हुए एक विकल्प उपलब्ध कराना हम सबकी जिम्मेदारी है। हालांकि, मलिक ने यह भी कहा कि राकांपा शाम में कोई भी फैसला अपनी सहयोगी कांग्रेस के साथ सहमति बना कर ही लेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि शिवसेना और राकांपा के बीच संवाद जारी है।