नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा में उठाया था मामला, हालांकि हर्षवर्धन चौहान को दिए लिखित जवाब में कुछ और कहा
हिमाचल दस्तक। तपोवन : नए पदों की रेगुलर भर्ती में एसएमसी शिक्षकों वाले पदों को शामिल करने के एक दिन बाद ही विधानसभा के भीतर सरकार ने अब अलग बयान दिया है। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन में कहा कि सरकारी स्कूलों में एसएमसी के तहत सेवाएं दे रहे शिक्षक नहीं हटाए जाएंगे।
पुरानी पॉलिसी के तहत जो शिक्षक रखे गए हैं, उनकी सेवाएं जारी रहेंगी। हाल ही में शिक्षकों के अधिसूचित किए गए 3636 पद एसएमसी शिक्षकों से अलग हैं। इस बारे में शनिवार को सत्र के आखिरी दिन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत यह मामला उठाया था। उन्होंने कहा कि अपने जीवन के इतने साल सरकार और स्कूलों को देने के बाद ऐसे शिक्षकों को हटाना सही नहीं है। इसके बाद शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार इन्हें नहीं हटा रही है।
हालांकि इसके बाद नियम 324 के तहत लगे इसी मसले पर हर्षवर्धन चौहान को दिए लिखित जवाब में सरकार ने कहा कि इस बारे में हाईकोर्ट से आग्रह किया गया है कि एसएमसी के तहत दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में भर्ती की अनुमति दी जाए और जो लगाए हैं, उन्हें भी जारी रखा जाए। हाईकोर्ट ने एसएमसी पॉलिसी को केवल स्टाप गैप अरेंजमेंट माना है।
सरकार ने कहा कि खाली पदों को शिक्षकों को तैनात किया जा रहा है, जबकि एसएमसी शिक्षकों को अब तक हटाया नहीं है। सरकार ने उच्च न्यायालय से 15 अक्तूबर को एडवोकेट जनरल के माध्यम से अपील की है कि राज्य के दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में सरकार को एसएमसी भर्ती प्रकिया के दौरान पदों को भने की अनुमति दी जाए।
खतरे में 2635 एसएमसी शिक्षक
प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में 2635 एसएमसी शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें 775 पीजीटी,109 डीपीई, 603 टीजीटी, 993 सीएंडवी और 155 जेबीटी शिक्षक हैं। पीजीटी, टीजीटी और डीपीई शिक्षकों को 11,232 सीएंडवी को 8,424 और जेबीटी को 6552 रुपये का वेतन दिया जा रहा था, जबकि अप्रैल 2019 को इसमें 20 प्रतिशत का इजाफा किया गया था और ये सभी खतरे में हैं। यदि सभी 3636 पदों पर भर्ती हो जाती है।