नेरचौक मेडिकल कॉलेज में सरकारी धन की सफाई!, बायोमीट्रिक हाजिरी के सत्यापन के बिना कर दी गई लाखों की पेमेंट, चंडीगढ़ की फर्म पर कॉलेज प्रबंधन मेहरबान, नियम-कायदे हुए हवा
अजय कुमार। नेरचौक : भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर खोले गए नेरचौक मेडिकल कॉलेज के संचालन को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सरकार ने आते ही मूत्र्त रूप देने का फैसला किया था। इस दौरान मेडिकल कॉलेज भवन की साफ-सफाई के लिए आउटसोर्स पर कर्मचारियों की तैनाती भी की गई। इसके लिए कर्मचारी उपलब्ध करवाने का ठेका कॅालेज प्रबंधन ने चंडीगढ़ की एक फर्म को दिया।
टेंडर में ही शर्त तय की गई थी कि आउटसोर्स सफाई कर्मचारियों की हाजिरी बायोमीट्रिक होगी और उसी के आधार पर मैन पावर सप्लाई करने वाली फर्म को भुगतान किया जाएगा। बायोमीट्रिक हाजिरी की शर्त को पूरा करवाने का दायित्व टेंडर में ही संबधित एसएमओ सहित आईसी और एमएस को सौंपा गया। बावजूद इसके मई, 2019 से पहले संबंधित फर्म को लाखों की अदायगियां बायोमीट्रिक हाजिरी का सत्यापन किए बिना ही कर दी गईं। जनवरी में ही इस फर्म को 38 लाख 32 हजार 769 तथा फरवरी में 35 लाख 85 हजार 459 रुपये की अदायगी बिना बायोमीट्रिक हाजिरी के सत्यापन के कर दी गई।
नेरचौक मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स कर्मचारी देने वाली फर्म दावा कर रही है कि मई से बायोमीट्रिक हाजिरी लगाई जा रही है, लेकिन हाजिरी में जो पेपर अदायगी के लिए कॉलेज प्रबंधन को दिए जा रहे हैं उनमें आज भी पी (प्रेजेंट), ए (एब्सेंट) और डब्ल्यू-ओ (वीकली ऑफ) दर्शाया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज में 244 सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति का दावा कॉलेज प्रबंधन और फर्म कर रहे हैं।
ऐसे में सवाल यह है कि क्या अब पी, ए और डब्ल्यूओ दर्शाने वाली बायोमीट्रिक मशीनें आ गई हैं जो कर्मचारी के आने-जाने का समय नहीं दर्शातीं? या फिर कॉलेज प्रबंधन को कंप्यूटर पर तैयार हाजिरी को ही बायोमीट्रिक हाजिरी बताकर लाखों की पेमेंट पाई जा रही है? इन सब सवालों पर साहब चुप हैं, लेकिन फर्म का एक निदेशक इसी हाजिरी को बायोमीट्रिक करार दे रहा है। पी, ए व डब्ल्यूओ लिखे जाने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि इस बायोमीट्रिक मशीन का प्रिंट इसी फॉर्मेट में आता है।
सरकार के ई- समाधान पोर्टल पर हुई शिकायत: सरकार के ई-समाधान पोर्टल पर हुई शिकायत में भी संबधित कंपनी को बायोमीट्रिक मशीनें कर्मचारियों की हाजिरी लगाने के लिए स्थापित करने के निर्देश दिए गए और साथ ही चेतावनी भी दी गई कि अगर बायोमीट्रिक हाजिरी नहीं लगाई गई तो फर्म को कॉलेज प्रबंधन कोई अदायगी नहीं करेगा। ये शिकायत 2019 में हुई थी। इसके बाद फरवरी में बायोमीट्रिक मशीनें लगाने के आदेश दिए गए थे। बावजूद इसके मई तक हाजिरी का खेल रजिस्टर में ही चलता रहा और कॉलेज प्रबंधन लाखों की अदायगी भी करता रहा।
साहबों की आंखों पर चढ़े ‘गलब्ज’:
मेडिकल कॉलेज में अप्रैल 2017 में सफाई कर्मचारियों की आउटसोर्स से भर्ती करने की अनुमति स्वास्थ्य विभाग से मिल गई थी। इसके बाद टेंडर प्रकिया अपनाते हुए एक फर्म को ठेका दे दिया गया। फर्म ने सफाई कर्मचारी तैनात कर दिए, लेकिन उनकी बायोमीट्रिक हाजिरी की व्यवस्था किए बिना ही रजिस्टर की हाजिरी से ही सत्यापन करते रहे। उधर, कॉलेज प्रबंधन का जवाब है कि सफाई कर्मचारी बायोमीट्रिक हाजिरी इसलिए नहीं लगाते क्योंकि उन्होंने हाथों में दस्ताने पहने होते हैं।
फर्म सरकार द्वारा तय पूरे नियम-कायदों के तहत ही काम कर रही है। शुरुआती दौर में सफाई कर्मचारी रजिस्टर पर हाजिरी लगाते थे, लेकिन बीते मई माह से सभी बायोमीट्रिक हाजिरी लगा रहे हैं। बायोमीट्रिक मशीनों के फॉर्मेट में ही प्रावधान है कि कागज पर प्रिंट हाजिरी पी, ए या डब्ल्यूओ के रूप में सामने आएगी। इसमें कुछ गलत नहीं है।
-ज्ञान चंद चौहाननिदेशक एमएस न्यू विजन एंड एस्कॉर्ट सर्विस, शिमला
मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स कर्मचारी देने वाली कंपनी को भुगतान तो हो रहा है। सफाई कर्मचारी बायोमीट्रिक और रजिस्टर दोनों प्रकार से हाजिरी लगा रहे हैं। सफाई कर्मचारियों के हाथों में दस्ताने पहने होने के कारण समझ से परे हैं।
-डॉ. देविंद्र, एमएस नेरचौक मेडिकल कॉलेज
ऐसे सामने आई दस्तानों की दास्तान
नेरचौक मेडिकल कॉलेज से आरटीआई में मांगी गई सूचना में ये खुलासा हुआ है कि सफाई कर्मचारी हाथों में दस्ताने पहने होते हैं, इसलिए बायोमीट्रिक हाजिरी नहीं लगा सकते। हालांकि इस संबंध में एक अधिकारी से पूछने पर उन्होंने भी माना कि ऐसा नहीं हो सकता कि सभी सफाई कर्मचारी 24 घंटे दस्ताने पहने रखें और बायोमीट्रिक हाजिरी न लगा पाएं।
किसने पहनाए दस्ताने?
नेरचौक मेडिकल कॉलेज के 244 सफाई कर्मचारी हाथों में दस्ताने पहने रखते हैं, ये जानकारी अतिरिक्त नियंत्रक एफएंडए ने एक जुलाई 2019 को मुहैया करवाई है और ये भी बताया है कि जनवरी में इस फर्म को 38 लाख 32 हजार 769 तथा फरवरी में 35 लाख 85 हजार 459 रुपये का भुगतान भी किया गया है।