शकील कुरैशी : शिमला
हिमाचल प्रदेश में सरकार ने 26 बिजली परियोजनाओं के लिए ऊर्जा उत्पादकों के साथ पहले हुए करार रद कर दिए हैं। इन परियोजना उत्पादकों ने सरकार द्वारा दी गई एकमुश्त रियायत का लाभ उठाने में गंभीरता नहीं दिखाई है। यही वजह है कि कैबिनेट ने इनको रद करने का फैसला लिया है। एक तरफ सरकार ने 26 प्रोजेक्ट रद करने का निर्णय लिया है तो वहीं दूसरी ओर 6 परियोजना उत्पादकों को राहत भी दी है। इनको एकमुश्त रियायत देने का निर्णय सरकार ने लिया है, जो कि तय समय पर एग्रीमेंट नहीं कर पाए थे और लाभ लेने से वंचित रह गए थे। उन्होंने सरकार को इसके कारण बताए, जिस पर सरकार राजी हो गई।
बता दें कि जलविद्युत क्षेत्र प्रदेश सरकार की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। पिछले कुछ साल से इस क्षेत्र को मंदी का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण बहुत से पावर प्रोजेक्ट यहां पर नहीं बन पाए, जोकि प्रस्तावित हैं। क्योंकि सरकार बिजली परियोजनाओं के साथ कई साल पहले करार कर चुकी है मगर यह प्रोजेक्ट तैयार नहीं हो सके। अधिकांश पर काम ही शुरू नहीं हुआ तो कइयों के लिए विभिन्न अनापत्तियां लेने में समय लग गया। ऐसे में राज्य सरकार ने हाइड्रो पावर को पावर देने के मकसद से एकमुश्त रियायत योजना लाई थी। इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए 224 परियोजना उत्पादक पात्र थे, जिनमें से 191 परियोजनाओं के अनुपूरक कार्यान्वयन अनुबंध हस्ताक्षरित कर उन्हें पुन: परिभाषित किया गया है।
अनुबंध कार्यान्वयन अनुबंध के अनुसार परियोजनाओं को कनेक्शन एग्रीमेंट और लांग टर्म ओपन एक्सेस एग्रीमेंट अथवा पावर परचेज एग्रीमेंट हस्ताक्षरित करने थे। परंतु विभिन्न कारणों से कुछ प्रोजेक्ट मालिक समय पर यह एग्रीमेंट नहीं कर पाए हैं, लिहाजा मामला कैबिनेट में भेजा गया था। मंत्रिमंडल ने इनको स्वीकृति प्रदान की है, जिसके बाद 6 परियोजना उत्पादकों को राहत मिली है। इनको सरकार ने 31 जुलाई 2022 तक एग्रीमेंट करने के लिए समय दे दिया है। यदि तब भी इनके एग्रीमेंट नहीं हो सकेंगे तो सरकार इनके बारे में आगे निर्णय लेगी। इसके लिए प्रशासनिक विभाग को अधिकृत कर दिया गया है, जो अपने स्तर पर निर्णय ले सकता है। मगर इस देरी के लिए परियोजना उत्पादक जिम्मेदार नहीं होना चाहिए।
सरकार नए सिरे से करेगी आवंटन का काम: सरकार के इस फैसले से यहां प्रोजेक्ट निर्माण में रफ्तार आ सकती है और बिजली परियोजनाएं तैयार होने की तरफ बढ़ेंगी। मगर जिन 26 प्रोजेक्ट को रद कर दिया गया है, उनके लिए अब सरकार नए सिरे से आवंटन का काम करेगी। बता दें कि प्रदेश में 24 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन की क्षमता है। अभी तक राज्य में साढ़े 10 हजार मेगावॉट तक ही उत्पादन किया जा सका है। अधिकांश प्रोजेक्ट निजी कंपनियों को दिए गए हैं, जिनका काम समय पर नहीं हो सका। वहीं कई सरकारी प्रोजेक्ट भी हैं, जिन पर काम किया जा रहा है।
एफसीए मंजूरी न मिलने से लटकी परियोजनाएं
हिमाचल में मौजूदा समय में बिजली परियोजनाओं का निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप होकर रह गया है। निजी क्षेत्र में काफी ज्यादा परियोजनाएं अलॉट की जा चुकी हैं, जिन पर यहां काम नहीं हो सका। बीच में कोरोना भी एक बड़ी वजह रही है, जिसमें दो से तीन साल निकल गए। वहीं एनवायरनमेंट क्लीयरेंस, एफसीए मंजूरी आदि नहीं मिलने की वजह से भी बिजली परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ सकी हैं। इन कारणों को ध्यान में रखकर ही सरकार ने इनको एकमुश्त राहत देने का निर्णय लिया था क्योंकि यह उत्पादक तय समय पर अपना काम नहीं कर पाए थे।
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