शिमला : बंदरों को वर्मिन घोषित करने के बावजूद राजधानी शिमला में बंदरों की नसबंदी दोबारा होगी। हालांकि नसबंदी की प्रक्रिया वर्ष 2006 से शुरू हुई थी, बावजूद इसके बंदरों की संख्या में खास कमी नहीं आई। इसे देखते हुए वन विभाग की वाइल्ड लाइफ विंग ने इस साल भी नसबंदी का काम शुरू करने का निर्णय लिया है।
पूरे प्रदेश में इस साल 20 हजार बदंरों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा है। इसमें से शिमला शहर में कम से कम 5 हजार बंदरों की नसबंदी होनी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले साल शिमला में 1365 बंदरों की नसबंदी हुई। इसके साथ-साथ नगर निगम के दायरे में बंदरों को मारने की अनुमति भी दी गई थी, लेकिन एक भी बंदर मारा नहीं गया।
इससे पहले यूपी और राजस्थान की वाइल्ड लाइफ टीम यह पता करने शिमला आई थी किहिमाचल के बंदरों से कैसे निजात मिल सकती है। प्रदेश वाइल्ड लाइफ विंग ने अब मॉडर्न तरीके से बंदरों से निपटने का तरीका भी अपनाया, लेकिन निजात नहीं मिल पाई। इसके लिए यूपी और राजस्थान से 2 टीमें यहां पहुंच कर सर्वे करचली गईं।
9 मंकी वॉचर्स किए थे तैनात
2015 में हुई गणना के मुताबिक प्रदेश में 2 लाख 7 हजार बंदर हैं। इसमें से 1 लाख 70 हजार बंदरों की नसबंदी हो चुकी है। पिछले साल 20 हजार बंदरों की नसबंदी हुई। इस बार भी वन विभाग ने 20 हजार बंदरों की नसबंदी का टारगेट फिक्स किया है। उल्लेखनीय है कि 2016 में नगर निगम शिमला के दायरे में खूंखार बंदर मारने की अनुमति केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दी थी। यहां तक कि 2 बार एक्सटेंशन भी मिली, लेकिन एक भी बंदर नहीं मारा गया।
उसके बाद पिछले साल जुलाई महीने में फिर से बंदरों को मारने की अनुमति मिली। वन विभाग ने राजधानी शिमला में लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए 9 मंकी वॉचर्स तैनात किए थे। ऐसे में आगामी 6 माह तक शिमला में बंदरों को मार सकेंगे। लोगों की सुरक्षा के लिए 9 मंकी वॉचर्स को ईको बटालियन कुफरी से शिमला में तैनाती दे दी गई।
मारने के बाद अधिकारी को दिखाना होगा बंदर
वाइल्ड लाइफ विंग हेडक्वार्टर के मुताबिक अभी तक एक भी बंदर मारने की रिपोर्ट नहीं है। बंदर मारने की ड्यूटी वन विभाग के कर्मचारियों की नहीं है, लेकिन आम आदमी मार सकता है। बंदर मारने के बाद उसे संबंधित वन अधिकारी को भी दिखाना होगा। उसके बाद विभाग संबंधित व्यक्ति को 500 रुपये देगा। साथ ही बंदर पकड़ कर लाने वाले व्यक्ति को 700 रुपये दिए जाएंगे। हालांकि इस राशि को बढ़ा कर एक हजार रुपये करने का भी प्रस्ताव तैयार हो चुका है।