धर्मचंद वर्मा : मंडी
हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान रंगमंडल एवं नाट्य अकादमी सतोहल में तीन दिवसीय नाट्य समारोह का शुभारंभ रविवार को दो नाटकों के मंचन के साथ हो गया। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश व हिमाचल कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सहयोग से आयोजित हो रहे इस तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव का आगाज हिमाचल प्रदेश के दो कथाकारों मुरारी शर्मा एवं स्व. नरेश पंडित की कहानियों के मंचन के साथ हुआ। इसमें नरेश पंडित की कहानी ‘झुनझुना’ जहां एक फौजी और उसकी बीवी के बीच अदालत में चल रहे मुकदमे को रेखांकित करती है, जिसमें उसकी बेटी अपने बाप के दिए झुनझुने के साथ खेलती रहती है। मगर उसकी मां फौजी को तलाक देने के साथ ही उसका दिया झुनझुना भी लौटा देती है।
इस नाटक का निर्देशन अजीत बहादुर सिंह द्वारा किया गया, जबकि साहित्यकार मुरारी शर्मा की कहानी ‘प्रीतो नदी हो गई’ कहानी संग्रह पहाड़ पर धूप में से ली गई है। जिसका निर्देशन मशहूर नाटय निदेशक विनोद राई ने किया है। इसमें हिमाचल की लडकी जिसे पंजाब में ब्याह दिया जाता है। पंजाब जाकर वह अपनी संस्कृति को, अपने रीति-रिवाजों को और अपने प्राकृतिक सौंदर्य को पंजाब में खोजती है। उसे न तो ऊंचे-ऊंचे पहाड़ दिखते हैं न ही नदियां दिखती हैं। उसका पति करतारा जो पंजाब का जमीदार है वह उसे समझाता है कि वह अब पंजाब आ गई है जहां पर हिमाचल की खुशबू बिल्कुल भी नहीं है।
समय के साथ प्रीतो पंजाब के परिवेश में ढल जाती है और फि र एक बेटी को जन्म देती है। फि र वही समाज की एक तकियानूसी सोच कि बेटी पैदा क्यों हुई और वहीं से प्रीतो विद्रोह करती है और अपने अस्तित्व के लिए अपने ससुराल को छोड़कर अपने मायके आ जाती है और यह तय करती है कि वह तब तक अपने ससुराल नहीं जाएगी जब तक उसके ससुराल में बेटियों का सम्मान नहीं होगा। धीरे-धीरे समय के साथ प्रीतो का पति उसे लेने उसके मायके जाता है और इस प्रकार जब वह मायके से वापस अपने ससुराल आती है तो उसके ससुर का अपनी पोती को देखकर मन पसीज जाता है। वह उसका नामकरण करता है और कहता है कि वह अपनी पोती को पढ़ा लिखा कर एक बहुत बड़ी अफसर बनाएगा। उसे अपनी सोच पर पश्चाताप होता है।