हिमाचल दस्तक : विजय कुमार : संपादकीय:
प्रदेश सरकार की लेटलतीफी से किसी बड़े केंद्रीय प्रोजेक्ट का लटकना समझ से परे है। केंद्र सरकार द्वारा लगातार उपेक्षा झेलने वाले राज्य को बड़ा प्रोजेक्ट मिलना अपने आप में किसी उपलब्धि से कम नहीं होता है। राज्य का विकास काफी हद तक केंद्रीय प्रोजेक्टों के क्रियान्वयन पर निर्भर करता है।
इसका एक और कारण भी है-राज्य के सीमित संसाधन। राज्य की विकट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां राजस्व प्राप्ति के बड़े साधन भी नहीं हैं। इसलिए अधिकतर विकास कार्यों के लिए राज्य को केंद्रीय सहायता और योजनाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। मगर प्रदेश सरकार केंद्रीय प्रोजेक्टों के क्रियान्वयन के लिए कितनी गंभीर रहती है इसका बड़ा और जीवंत उदाहरण केंद्रीय विश्वविद्यालय और एम्स में देरी है। इनमें केंद्रीय विश्वविद्यालय को लेकर तो हद ही हो गई है।
यहां राजनीति देरी की वजह बनी। खैर, कारण कोई भी रहा केंद्रीय योजनाएं लटकी तो हैं ही। अब भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेललाइन का काम डंडे बस्ते में पड़ गया है। भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेललाइन को बनाने का जिम्मा रेलवे मंत्रालय ने रेल विकास निगम को सौंपा है। इस रेललाइन पर भूमि अधिग्रहण का काम अभी तक लगभग 23 किलोमीटर पूरा हो चुका है। लेकिन जो धनराशि प्रदेश सरकार के हिस्से में रेलवे मंत्रालय को जमा करवानी है, वह अभी तक मंत्रालय को नहीं दी जा रही है।
यहां रेल विकास निगम कामों के तेजी जाने के लिए प्रदेश सरकार को कह रहा है। फिलहाल रेल विकास निगम में पैसे जमा करवाने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। रेल विकास निगम भूमि पर कब्जा लेने का काम होना शुरू करना चाहता है। मगर प्रदेश सरकार द्वारा अपने हिस्से का बजट जमा नहीं करवाने से यह काम शुरू नहीं हो पा रहा है। प्रदेश सरकार को केंद्रीय प्रोजेक्टों के क्रियान्वयन पर ऐसा रवैया त्यागना ही होगा।