हिमाचल दस्तक ब्यूरो। सुंदरनगर
चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के कुलपति के निर्देशानुसार कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर द्वारा नामित किसान संजय कुमार को राष्ट्र स्तरीय पंडित दीनदयाल अंत्योदय कृषि पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया गया है।
यह पुरस्कार उन्हें उनके द्वारा खेती में अपनाई गई नई तकनीकों के उपलक्ष्य में प्रदान किया गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के फाउंडेशन दिवस के अवसर पर वर्चुअली मोड में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र तोमर ने संजय कुमार को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा। इसमें उन्हे स्मृति चिन्ह, सर्टिफिकेट तथा 50 हजार रुपए की राशि प्राप्त हुई।
उनकी इस उपलब्धि से जिला मंडी के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश का भी नाम ऊँचा हुआ है जो कि प्रत्येक प्रदेशवासी के लिए गौरव की बात है। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. पंकज सूद ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली प्रति वर्ष कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले वैज्ञानिकों व किसानों के लिए विभिन्न पुरस्कारों के लिए नामकरण आमंत्रित करता है।
चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के कुलपति प्रोफेसर हरिंदर कुमार चौधरी ने सभी कृषि विज्ञान केंद्रों को निर्देश दिया था कि प्रदेश में बेहतरीन कार्य कर रहे किसानों को यथासंभव पुरस्कार के लिए नामित करते रहें। उन्ही के प्रयासों से संजय कुमार व प्रदेश के अन्य प्रगतिशील किसानों के संक्षिप्त बायो डाटा को कृषि विश्वविद्यालय के म्युजेयम् की किसान गैलरी में स्थापित किया गया है और कृषि दूत की उपाधि से नवाजा गया है।
उनके द्वारा दिया गया यह स्लोगन कृषि विश्वविद्यालय का यही प्रयास, प्रत्येक कृषक का हो सही विकास आज धरातल पर भी सार्थक सिद्ध हो रहा है। इसी कड़ी में कुलपति द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र से नामांकित विकास खण्ड सुंदरनगर के पलोहटा गांव के प्रगतिशील युवा सीमांत किसान संजय कुमार को राष्ट्र स्तरीय पंडित दीनदयाल अंत्योदय कृषि पुरस्कार 2020 के लिए नामित किया था।
पंडित दीनदयाल अंत्योदय कृषि पुरस्कार पूरे देश में केवल 3 ही किसानों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने टिकाऊ खेती पर सफल मॉडल विकसित किये हों। इसके लिए सीमांत, छोटे किसान व भूमिहीन ही पात्र होते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महा निदेशक द्वारा 5 सदस्सीय कमेटी का गठन करके परिषद के मानकों के अनुरूप राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय कार्य करने वाले किसानों में से विजेता का चयन करके इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
संजय कुमार ने वर्ष 2010 से 2014 तक विदेश में नौकरी करने के उपरांत अपने गांव का रुख किया और गांव आकर कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर के वैज्ञानिकों के सम्पर्क में आए। वैज्ञानिकों ने उन्हें एकीकृत कृषि अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने केंद्र से विभिन्न विषयों जैसे एग्रीकल्चर एक्स्टेंशन सर्विस प्रोवाइडर, ओर्गेनिक ग्रोवर, नर्सरी वर्कर, एकीकृत कृषि, पॉली हाउस खेती, प्राकृतिक खेती आदि में प्रशिक्षण प्राप्त किए और अपने फार्म में एकीकृत कृषि का मॉडल स्थापित कर अपनी आजीविका सुनिष्चित की।
पॉलीहाउस में सब्जी उत्पादन, फसल उत्पादन, डेयरी, बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, प्राकृतिक खेती, प्राकृतिक खेती संसाधन भंडार, वर्षा जल संग्रहण उनके एकीकृत कृषि मॉडल के प्रमुख घटक हैं। साथ ही वह आत्मा परियोजना के अंतर्गत जीरो बजट प्राकृतिक खेती के मास्टर ट्रेनर का कार्य भी कर रहे हैं और अभी तक लगभग 1000 किसानों को प्रशिक्षित कर चुके हैं।
सीमित संसाधनों का कुशल व प्रभावी उपयोग कर वह अपने इस मॉडल से बेहतर आमदनी अर्जित करते हैं। उन्होंने सीमांत व छोटे किसानों के लिए आजीविका सुरक्षा का उदाहरण पेश किया है जो कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणादायक है।