एजेंसी। नई दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने शनिवार को सबसे बड़े फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को 3 महीने के भीतर बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज का गठन कर विवादित स्थल को मंदिर निर्माण के लिए देने को कहा।
कोर्ट ने साथ में केंद्र सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने के भी आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मुस्लिम अपने साक्ष्यों से यह सिद्ध नहीं कर पाए कि विवादित भूमि पर उनका ही एकाआधिकार था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का जमीन बंटवारे और सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक हिस्सा देने का आदेश गलत था। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले के मध्यस्थों जस्टिस (रिटायर्ड) कलीफुल्लाह, श्रीराम पांचू और आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर की भूमिका की भी तारीफ की। कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थ इस मामले में सुलह के बेहद करीब पहुंचे थे।
क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट से पहले इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में अपना फैसला सुनाया था। 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया था। कोर्ट ने यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच बराबर बांटने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिस पर लंबी सुनवाई के बाद शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया।
वो शख्स, जिसने विवादित जमीन के नीचे देखे थे ‘सबूत’
अयोध्या मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर कहा कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। हालांकि कोर्ट ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है लेकिन आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) में अधिकारी रहे केके मोहम्मद ने दावा किया था कि मस्जिद के नीचे से मंदिर के अवशेष मिले थे। दरअसल, एएसआई ने पहली बार 1977 में विवादित भूमि का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया था, तब उस टीम में केके मोहम्मद प्रशिक्षु के तौर पर शामिल थे।
इसके बाद 2003 में भी भारतीय एएसआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर विवादित जमीन की खुदाई की थी। एएसआई की इस टीम ने वैज्ञानिक परीक्षण किया था। इसके आधार पर विवादित ढांचे के नीचे प्राचीन मंदिर के अवशेष होने का दावा किया गया था। मंदिर के पक्ष में मिले इन सबूतों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में अहम भूमिका निभाई थी। कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट को वैध माना और कहा कि खुदाई में जो मिला, वह इस्लामिक ढांचा नहीं था।
चार टाइटल सूट में किसे क्या मिला
- मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखे जाने के बाद गोपाल सिंह विशारद ने 1950 में सिविल अदालत में मुकदमा दायर किया। उन्होंने मांग की थी कि भगवान राम उसी जगह विराजमान रहें और हिंदुओं को पूजा-अर्चना का अधिकार दिया जाए। अदालत ने उनकी मांग को उचित ठहराते हुए गोपाल सिंह विशारद को मंदिर में पूजा करने का अधिकार दे दिया।
- अदालत ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया। अखाड़े ने कहा था कि विवादित भूमि का आंतरिक और बाहरी अहाता भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में मान्य है। हम रामलला के सेवायत हैं। यह हमारे अधिकार में सदियों से रहा है। ऐसे में हमें ही रामलला के मंदिर के पुनर्निर्माण, रखरखाव और सेवा का अधिकार मिलना चाहिए। अदालत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि निर्मोही अखाड़ा रामलला की मूर्ति का उपासक या अनुयायी नहीं है। उसे सेवादार का भी अधिकार नहीं है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलों में माना था कि निर्मोही अखाड़ा वहां का सेवादार रहा है।
- सुन्नी वक्फ बोर्ड और तमाम मुस्लिम पक्षकारों की मांग थी कि विवादित जगह पर मस्जिद थी और वहीं रहनी चाहिए। अगर मंदिर को जगह दी भी गई तो उन्हें पूरी तरह से बाहर नहीं किया जा सकता है। अदालत ने उनकी दलील स्वीकार नहीं की और पूरी विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का फैसला सुनाया। हालांकि, मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया, जहां मस्जिद बनाई जाएगी।
- साल 1989 में दाखिल सूट ने पूरे केस का परिदृश्य बदल दिया। यह रामलला विराजमान के नाम से है। इसमें कहा गया है कि रामलला शिशु के रूप में विराजमान हैं और उनके अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है। सर्वोच्च अदालत ने रामलला को कानूनी व्यक्ति मानते हुए उन्हें जमीन का मालिकाना हक देने का फैसला सुनाया।
फैसले का यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने किया स्वागत
कहा-चुनौती देने का कोई विचार नहीं
लखनऊ। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के पक्षकार रहे यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कहा कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा। बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने कहा कि वह न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं और बोर्ड का इस फैसले को चुनौती देने का कोई विचार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही
10.30 फैसले की कॉपी पर संविधान पीठ के पांचों न्यायाधीशों ने हस्ताक्षर किए।
10.31 शिया वक्फ बोर्ड की जमीन पर नियंत्रण की याचिका सर्वसम्मति से खारिज कर दी गई।
10.32 मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने फैसला सुनाना शुरू किया, बोले-करीब आधा घंटा लगेगा।
10.38 जस्टिस गोगोई ने कहा कि धार्मिक तथ्यों नहीं, बल्कि एएसआई की रिपोर्ट को ध्यान में रखकर कोर्ट फैसला ले रहा है, मस्जिद कब बनी स्पष्ट नहीं।
10.39 निर्मोही अखाड़े का दावा भी खारिज, कहा-निर्मोही अखाड़ा शबैत नहीं यानी उसे प्रबंधन का अधिकार नहीं।
10.41 जस्टिस गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है, जबकि भगवान राम न्यायिक व्यक्ति हो सकते हैं।
10.44 पुरातत्व विभाग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसने पाया कि नीचे हिंदू मंदिर पाया गया, गुंबद के नीचे वो समतल की स्थिति में था। हिंदू अयोध्या को राम का जन्मस्थान मानते हैं।
10.45 एएसआई रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनी थी। एएसआई ने यह नहीं बताया कि मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई। मुस्लिम गवाहों ने भी माना, दोनों पक्ष पूजा करते थे।
10.54 यह सबूत मिले हैं कि राम चबूतरा और सीता रसोई पर हिंदू अंग्रेजों के जमाने से पहले भी पूजा करते थे। रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य बताते हैं कि विवादित जमीन का बाहरी हिस्सा हिंदुओं के अधीन था।
10. 55 मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि खाली जगह पर मस्जिद नहीं बनी थी। सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए शांतिपूर्ण कब्जा दिखाना असंभव है।
10.59 1856-57 से पहले आंतरिक अहाते पर हिंदुओं पर कोई रोक नहीं थी। संघर्ष की वजह से वहां शांतिपूर्ण पूजा के लिए रेलिंग बनाई गई।
11.00 मुस्लिमों का बाहरी अहाते पर कोई अधिकार नहीं रहा। सुन्नी वक्फ बोर्ड यह सबूत नहीं दे पाया कि यहां उसके एकमात्र अधिकार है।
11.05 मुस्लिमों को मस्जिद के लिए दूसरी जगह मिलेगी। संविधान कभी धर्म से भेदभाव नहीं करता।
11.07 केंद्र सरकार 3 महीने में योजना तैयार करेगी, बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का गठन होगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड को केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अहम जगह पर 5 एकड़ जमीन दी जाए। फिलहाल अधिकृत जमीन का कब्जा रिसीवर के पास रहेगा।
11.11 विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को दी जाए। मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाएगी सरकार। 5 जजों ने एकमत से दिया फैसला।
11.12 मुख्य न्यायाधीश ने फैसला सुनाने के बाद सभी पक्षों का धन्यवाद किया।