केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सभी मसले हल करने का किया एलान
ग्लोबल इन्वेस्टर मीट
- उद्योग, टूरिज्म, एग्रीकल्चर और फूड प्रोसेसिंग के लिए बनेगी ये टास्क फोर्स
- केंद्र और प्रदेश की योजनाओं से कितना बढ़ेगा विकास, होगा अध्ययन
राजेश कुमार। धर्मशाला : राइजिंग हिमाचल ग्लोबल इन्वेस्टर मीट (जीआईएम) के दूसरे दिन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विभिन्न सत्रों में शिरकत की। उन्होंने धर्मशाला में ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के समापन सत्र को संबोधित किया। गोयल ने कहा कि प्रदेश को आगे बढ़ाने की दिशा में ग्लोबल इन्वेस्टर मीट एक पड़ाव है।
उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश के सहयोग से एक हाई लेवल टॉस्क फोर्स बनाई जाएगी। जिसमें उद्योग, टूरिज्म, एग्रीकल्चर, फूड प्रोसेसिंग और रेलवे को जोड़ा जाएगा। संबंधित फील्ड के अधिकारी केंद्र व प्रदेश की स्कीमों को जोड़कर कैसे विकास को आगे बढ़ाया जाए, इसके लिए स्कीमों का अध्ययन करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि हिमाचल के लिए यह टॉस्क फोर्स कारगर साबित होगी। गोयल ने कहा कि इस संबंध में सीएम जयराम ठाकुर से भी बात हुई है। केंद्र व प्रदेश की योजनाओं के माध्यम से डबल इंजन से विकास को रफ्तार दी जाएगी। टॉस्क फोर्स हर फील्ड को स्टडी करके काम करेगी।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर का आयोजन प्रदेश के अच्छे भविष्य की शुरुआत है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इन्वेस्टर मीट में हुए एमओयू से आउटकम बेहतर होगी, ऐसा मुझे विश्वास है। यहां के रोड़ परफेक्ट हैं, कांगड़ा का एयरपोर्ट भी सुंदर बना है। एयरपोर्ट से धर्मशाला आते समय काम कर रहा था, सड़क इतनी बेहतर थी एक भी झटका नहीं लगा। पहाडिय़ों में स्वाद और संघर्ष दोनों हैं। अब हिमाचल को देखकर विश्वास जाग उठा है कि हम भी किसी से कम नहीं हैं।
मौसम बना रोड़ा नहीं आए अमित शाह
इन्वेस्टर मीट का समापन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को करना था, लेकिन खराब मौसम के कारण वह नहीं आ सके। इसलिए सेक्टोरल सेशन के लिए धर्मशाला आए केंद्रीय वाणिज्य एवं रेल मंत्री पीयूष गोयल को ही समापन करना पड़ा। उन्होंने कहा कि अमित शाह खुद आना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अब हिमाचल के लिए शुभकामनाएं भेजी हैं। गोयल ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बहुत जल्द किसी और बहाने से हिमाचल का दौरा करेंगे।
93,000 करोड़ के 614 एमओयू साइन
- समापन कार्यक्रम में सीएम बोले, अब एमओयू की मॉनीटरिंग होगी
- निवेशकों के लिए चॉर्टर बनाएगा हिमाचल, क्लीयरेंस तेज की जाएंगी
- बाल्दी बोले : मॉनीटरिंग को हिम प्रगति से करेंगे रेगुलर
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। धर्मशाला : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य की पहली इन्वेस्टर मीट में कुल 614 एमओयू साइन किए गए। इससे 93,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होगा। उन्होंने कहा कि जो समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए जा चुके हैं उन्हें सभी प्रकार का सहायता एवं सहयोग सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि इन पर कार्य शीघ्रता से कार्य आरंभ हो सके।
उन्होंने कहा कि सभी संबंधित विभाग परियोजनाओं के लिए विभिन्न प्रकार के अनापत्ति प्रमाणपत्र एवं स्वीकृतियां प्रदान करने के लिए कारगर कदम उठाएंगे ताकि उद्यमियों को आगे की कार्रवाई में कोई परेशानी न हो। इन्वेस्टर मीट के दौरान साइन हुए एमओयू को निवेश में बदलने के लिए राज्य सरकार ने आगे की रूपरेखा तैयार कर ली है। समापन सत्र में दी गई प्रस्तुति में मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने बताया कि हम कल से ही साइन हुए एमओयू की मॉनीटरिंग शुरू करेंगे। विभागवार से निगरानी होगी।
इसके बाद राज्य सरकार के दो साल पूरे होने पर 27 दिसंबर को पहली ग्राउंड बे्रकिंग सेरेमनी की जाएगी, जिसमें ये बताया जाएगा कि इन एमओयू में से कितने प्रोजेक्टों पर काम शुरू हो गया है। मुख्य सचिव ने कहा कि जैसा इस मीट में भी सुझाव आया है, राज्य में निवेशकों के लिए अलग चॉर्टर होगा। हिम प्रगति से मॉनीटरिंग को रेगुलर किया जाएगा। निवेशकों को पेश आ रही दिक्कतों का हल बिना समय गंवाए होगा। मुख्य सचिव ने इस प्रेजेंटेशन में कहा कि देश के अलावा 17 अन्य देशों ने इस मीट में हिस्सा लिया है।
इसमें से यूएई इस मीट का पार्टनर देश था। मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्मेलन की सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रियों के निरंतर सहयोग को भी जाता है। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने केंद्रीय मंत्री और उद्योगपतियों का धन्यवाद करते हुए निवेशकों को हिमाचल में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य निवेशकों की हरसंभव मदद करेगा। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को आसानी से जमीन उपलब्ध कराने के लिए भूमि बैंकों की स्थापना की गई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
यह पहला, लेकिन चुनौतीपूर्ण प्रयास था
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने और सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से कई नीतियां अधिसूचित की हैं। उन्होंने कहा कि इन्वेस्टर मीट आयोजित करने का यह पहला लेकिन चुनौतीपूर्ण प्रयास था जो नि:संदेह ऐतिहासिक है और निवेशकों के सहयोग से हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में आशातीत बदलाव आएगा।