हिमाचल दस्तक : विजय कुमार : संपादकीय : वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी राजस्व में सुधार से टैक्स कलेक्शन में इजाफा होगा। प्रदेश सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। किसी भी देश या प्रदेश का विकास टैक्स कलेक्शन से सीधे तौर पर जुड़ा होता है। यह राजस्व का बड़ा साधन होता है। इसी राजस्व से विकास को गति मिलती है।
यदि टैक्स कलेक्शन कम होगा तो विकास भी मंद पड़ जाएगा। टैक्स कलेक्शन बढऩे से विकास कार्यों को गति मिलती है। विकास के कामों के लिए पर्याप्त धनराशि की जरूरत रहती है। टैक्स कलेक्शन इस धनराशि का सबसे बड़ा स्रोत होता है। हिमाचल में इसका और ज्यादा महत्व है, क्योंकि यह एक छोटा पहाड़ी प्रदेश है और यहां की अर्थव्यवस्था विकासशील है। यही वजह है कि राज्य सरकार जीएसटी के सही क्रियान्वयन के साथ जीएसटी राजस्व और कर संग्रह में सुधार के लिए प्रयास कर रही है। इस कड़ी में अधिकारियों को टैक्स रिटर्न फाइलिंग को 75 से 95 प्रतिशत तक बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
परिणाम समय पर सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को इस काम को पूरा करने के लिए डेडलाइन भी दी गई है। वहीं जीएसटी पंजीकरण की संख्या बढ़ाने के लिए भी कहा गया है। इसके साथ ही होटलों और होम स्टे को टैक्स के दायरे में लाने की भी तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए विशेष अभियान चलाने की योजना है। प्रोत्साहन के रूप में पेट्रोल और डीजल के इस्तेमाल के लिए सी फार्म के प्रावधान को हटाने के निर्देश दिए हैं।
वाहनों की खरीद में बढ़ोतरी लाने के लिए वाहन क्रय पर एसजीएसटी के अंतर्गत कुछ हिस्से की प्रतिपूर्ति ग्राहक को वापस करने का प्रस्ताव है। इसी तरह एसजीएसटी टैक्स की प्रतिपूर्ति दुकानदारों द्वारा ग्राहकों को छूट उपलब्ध करवाने की शर्त पर दी जाएगी। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से टैक्स कलेक्शन में इजाफा हो सकता है, बशर्ते अधिकारी इस काम को गंभीरता से लें।