शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज बोले, अब आर्टिकल 311 में होगा डिसमिसल, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने उठाया था हरोली मामला
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। धर्मशाला : राज्य के सरकारी स्कूल और कॉलेजों में छात्राओं से छेड़छाड़ करने वाले शिक्षकों की अब सीधे नौकरी जाएगी। सरकार इन पर अब संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत कार्रवाई करेगी, जिसमें प्रारंभिक जांच के बाद डिसमिसल का प्रावधान है।
ये बात शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने विधानसभा में कही। वह नेता प्रतिपक्ष द्वारा विशेष उल्लेख के तहत उठाए गए हरोली मामले पर बोल रहे थे। इससे पहले प्रश्नकाल समाप्त होते ही मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा कि हरोली में 13 छात्राओं ने एक साथ शास्त्री टीचर की यौन प्रताडऩा की शिकायत की है। सरकार ऐसे मामलों पर गंभीरता से विचार करे और ऐसे शिक्षकों पर कोई सख्त कार्रवाई का प्रावधान करे। जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि हरोली के मामले में एफआईआर दायर हो गई है और आगामी कार्रवाई जारी है। ये बात सही है कि ऐसे मामले बहुत आ रहे हैं।
कई मामलों में अवॉर्डी टीचर इसमें आरोपी निकल रहे हैं। ये गंभीर बात है, क्योंकि एक शिक्षक से ऐसे चरित्र की कल्पना नहीं की जा सकती। हरोली मामले में कल ही आरोपी शिक्षक पर कार्रवाई हो गई थी। उसे सस्पेंड करके उसका मुख्यालय जिला से बाहर किया गया है। ऐसे मामलों में विभाग सीसीएस रूल्स के तहत कार्रवाई करता है, जिसमें जांच पूरी करने में वक्त लग जाता है। अब सरकार ये विचार कर रही है कि सीसीएस के बजाय अब सीधे आर्टिकल 311 के तहत प्रारंभिक जांच के बाद ही आरोपी शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाए।
सिराज में जातीय भेदभाव पर हेड टीचर सस्पेंड
मुकेश अग्निहोत्री ने हरोली मामले में अपनी बात रखते हुए मंडी के सिराज में मिड-डे मील में जातीय भेदभाव का मामला भी उठाया। इस बारे में शिक्षा मंत्री ने कहा कि सारे मामले पर रिपोर्ट मंगवाई गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर संबंधित स्कूल की हेड टीचर को सस्पेंड कर दिया गया है। उनका हेडक्वार्टर मंडी फिक्स किया गया है और बीईईओ को जांच का जिम्मा दिया गया है।
हर साल सामने आ रहे यौन प्रताडऩा के 15 केस
राज्य के सरकारी स्कूलों में हर साल औसतन 15 केस ऐसे सामने आ रहे हैं, जिनमें टीचर पर यौन प्रताडऩा के आरोप लग रहे हैं। हाल ही में चंबा, शिमला के रोहडू, बिलासपुर कॉलेज, हमीरपुर के एक निजी कॉलेज और ऊना के हरोली में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। इसकी मुख्य वजह ये है कि ऐसे खराब चरित्र वाले शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान वर्तमान में नहीं है।