प्रदेश हाईकोर्ट ने दिए आपराधिक कार्रवाई के आदेश
शिमला। आय संबंधी गलत प्रमाणपत्र जारी करना नायब तहसीलदार और पटवारियों को महंगा पड़ा। हाईकोर्ट ने इन कर्मियों के खिलाफ विभागीय व आपराधिक कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने आंगनबाड़ी सहायक की नियुक्ति को रद करते हुए जिलाधीश सिरमौर को आदेश दिए हैं कि वह प्रमाणपत्र जारी करने वाले हरिपुरधार के नायब तहसीलदार व संबंधित पटवारियों के खिलाफ विभागीय जांच अमल में लाएं।
कोर्ट ने 31 मार्च, 2020 तक विभागीय जांच को अंतिम रूप दिए जाने के आदेश जारी किए हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय ने नायब तहसीलदार, संबंधित पटवारियों व चाइल्ड रिलीफ एंड वुमन वेलफेयर सोसाइटी नाहन के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई भी अमल में लाने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट के अनुसार उपरोक्त सोसाइटी ने प्रतिवादी अनिता देवी को नर्सरी टीचर ट्रेनिंग का झूठा अनुभव प्रमाणपत्र जारी किया था। न्यायालय ने जिलाधीश सिरमौर को आदेश दिए कि वह मामले से संबंधित सारा रिकॉर्ड एकत्रित करने के पश्चात इसकी प्रतिलिपि पुलिस अधीक्षक सिरमौर को सौंपें। इस मामले की जांच उप पुलिस अधीक्षक के ओहदे वाला अधिकारी करे। अगर प्रथम दृष्टया यह साबित हो जाता है कि इन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला बनता है तो इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के पश्चात उसे अंजाम तक ले जाया जाए।
उपरोक्त अधिकारी व कर्मचारी शायद यह भूल गए हैं कि सरकारी कार्यालय जिन्हें वे चलाते हैं, वे सदुपयोग के लिए बने हैं न कि दुरुपयोग के लिए। अगर इन्हें चलाने वाले इस नियम को भंग करते हैं तो देश का कानून शक्तिहीन नहीं है, यह अपना काम करेगा और न केवल मनमाने ढंग से लिए गए निर्णय को ही रद करेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो। हालांकि सुनवाई के दौरान प्रार्थी कौशल्या देवी की ओर से याचिका को वापस लेने की गुहार लगाई थी, मगर कोर्ट ने कहा कि गैरजिम्मेदार कर्मियों के खिलाफ जांच के दौरान सामने आई सच्चाई के पश्चात उन पर कार्रवाई दबाने के उद्देश्य से प्रार्थी की याचिका को वापस लेने वाली मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
जिलाधीश सिरमौर द्वारा न्यायालय के समक्ष दायर शपथपत्र के अनुसार उन्होंने जांच के दौरान यह पाया कि नायब तहसीलदार हरिपुरधार ने जो आय का प्रमाणपत्र जारी किया था, वह कृषि भूमि से जुड़ी आय पर आधारित था। पटवारियों की रिपोर्ट पर तैयार किया गया यह प्रमाणपत्र वास्तविक तौर पर गलत पाया गया है। न्यायालय ने इसी जांच के आधार पर नायब तहसीलदार हरिपुरधार व संबंधित पटवारियों के खिलाफ विभागीय व आपराधिक कार्रवाई अमल में लाने के आदेश जारी किए हैं। मामले पर सुनवाई 2 अप्रैल, 2020 को होगी।