सुनील समियाल : धर्मशाला
कांगड़ा के धर्मशाला में स्तिथ एक निजी फैक्टरी में चीड़ की हरी पत्तियों के धुएं से चाय को फ्लेवर देकर तैयार की जारही पाइंसवुड स्मॉक टी। धर्मशाला चाय उद्योग के प्रबंधक अमनपाल सिंह ने बताया कि फैक्टरी में जंगल से चीड़ की हरी पत्तियों को लाया जाता हैं उसके बाद फैक्टरी में रखी गई एक विशेष मशीन में उन चीड़ की पत्तियों को हल्की आग से निकले धुएं से चाय को फ्लेवर दिया जाता हैं। इस सारी प्रक्रिया के बाद चाय को बनाने में पूरा दिन लग जाता है। उन्होंने बताया कि पूरे दिन में मात्र 25 किलोग्राम चाय ही बनकर मशीन में तैयार होती है। इसके बाद इसे तैयार करके फ्रांस सहित अन्य देशों में 1700 से 1800 रुपये किलोग्राम के हिसाब से बेचा जाता हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस चाय को स्थनीय लोग भी पसंद कर रहे है। पाइंसवुड स्मॉक टी बैग 13 रुपये का बिकता है।
पाइंसवुड स्मॉक टी की खासियत
पाइंसवुड स्मॉक टी का अच्छा स्वाद चीड़ की पत्तियों के साथ खुशबूदार होता है। इसमें विटामिन सी पाई जाती है और हृदय रोग, वैरिकाज नसों, त्वचा की शिकायतों और थकान जैसी स्थितियों से राहत दिलाता है। पाइंसवुड स्मॉक चाय बीमारी और संक्रमण से लडऩे में मदद करती है। पाइंसवुड स्मॉक टी में विटामिन ए का उच्च स्तर भी होता है, जो आपकी दृष्टि के लिए अच्छा है, बालों और त्वचा के उत्थान में सुधार करता है और लाल रक्त कोशिका उत्पादन में सुधार करता है। इसके साथ यह खांसी के लिए एक इस्पेक्टरेंट के रूप में और छाती में जमे बलगम को दूर करने में मदद करता है व गले की खराश को भी ठीक करता है।
कांगड़ा चाय को यूरोपीय संघ के जीआई टैग मिलने के आसार
कांगड़ा चाय को यूरोपीय संघ के जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) मिलने के आसार हैं। टैग मिलने के साथ ही कांगड़ा चाय की चर्चा यूरोप के देशों तक सुनाई देगी। कृषि विभाग में तकनीकी अधिकारी चाय विभाग डॉ. सुनील पटियाल ने बताया कि कांगड़ा चाय को यूरोपीय संघ का जीआई टैग मिल सकता है, जबकि वर्ष 2005 में ही भारत का जीआई टैग मिल चुका है और अब यूरोपीय संघ का जीआइ टैग मिलता है तो यह भी विश्व की महत्वपूर्ण व ब्रांडेड वस्तुओं में शामिल हो जाएगी। कृषि विभाग में तकनीकी अधिकारी चाय विभाग डॉ. सुनील पटियाल ने बताया कि प्रदेश में 2311 हेक्टयर भूमि चाय के तहत है। इसमें लगभग 5900 किसान-बागवान जुड़े हैं।