- लोन पर ली राशि का देना पड़ रहा ब्याज
- एक जमीन की 6 करोड़ की अदायगी रोकी
शकील कुरैशी : शिमला
सरकारी एजेंसी हिमुडा द्वारा खरीदी गई करोड़ों रुपये की जमीन अब उसके गले की फांस बन गई है। कई स्थानों पर हिमुडा ने ऐसी जमीन खरीद रखी है जिसे अब कोई खरीदार नहीं मिल रहा। आलम यह है कि लोन लेकर ली गई जमीन पर करोड़ों का ब्याज देना पड़ रहा है और ब्याज देने के लिए भी अब हिमुडा के पास पैसा नहीं है। इतना ही नहीं एक जगह पर जो जमीन हिमुडा ने ले रखी है वो मौके पर कम निकली जिसकी एवज में 6 करोड़ रुपये की राशि की अदायगी अभी रोकी गई है मगर 27 करोड़ रुपये पहले ही अदा किए जा चुके हैं।
ऐसे कई मामले हैं जिनमें हिमुडा बुरी तरह से फंस चुका है। क्योंकि राजनीतिक तौर पर इस तरह की सौदेबाजी हुई है जो आज हिमुडा के गले की फांस बन गई है। आनन-फानन में बगैर डिमांड सर्वे के खरीदी गई इन जमीनों का सालों से उपयोग तो नहीं हो रहा मगर हिमुडा कर्ज पर ब्याज का भुगतान जरूर कर रही है। एक ओर जहां हिमुडा की सैकड़ों बीघा भूमि बेकार पड़ी हुई है, वहीं दूसरी ओर कुल्लू, पालमपुर व प्रदेश के कुछ भागों में इसके फ्लैट को खरीदार भी नहीं मिल रहे।
नतीजतन हिमुडा की माली हालत भी पटरी से उतरने लगी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक हिमुडा ने सिरमौर जिला के राजगढ़ में बीते सालों में करीब 600 बीघा जमीन की खरीद की थी। बेशक कागजों में यह भूमि ६०० बीघा हो मगर मौके पर 90 बीघा के करीब कम है। हिमुडा ने भूमि के विक्रेता के 6 करोड़ की रकम रोक रखी है। बाकी की करीब 27 करोड़ की राशि का भुगतान कर दिया गया। जमीन ऐसी जगह खरीदी गई जहां इसका उपयोग ही नहीं हो पा रहा। पीपीपी आधार पर इस भूमि को विकसित करने की योजना भी सिरे नहीं चढ़ पा रही है।
कमोवेश यही स्थिति ऊना के नजदीक टाहलीवाल में खरीदी 500 कनाल से अधिक भूमि की है। इस भूमि का मामला कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कई बार विधानसभा में भी उठाया। भूमि की करोड़ों की कीमत का 75 फीसद विक्रेता को दे दिया गया है। मगर जमीन बेकार पड़ी है। टुटू के नजदीक जुब्बड़हट्टी में टाउनशिप विकसित करने के लिए भी सैकड़ों बीघा भूमि खरीदी गई। भूमि खरीदते वक्त कहा गया कि सिंगापुर की कंपनी यहां टाउनशिप विकसित करेगी। मगर अब इसके प्लाट बना कर बेचने की नौबत है। प्लाट बना कर बेचने से पहले हिमुडा को इसे विकसित करना होगा।
प्रदेश के कुछ भागों में हिमुडा की जमीनें बेकार
बताया जा रहा है कि धर्मशाला व प्रदेश के कुछ अन्य भागों में भी इसी तरह हिमुडा की जमीनें बेकार पड़ी हैं। जमीन खरीदने को लिए गए कर्ज का भुगतान करने में ही सरकार की इस एजेंसी के पसीने छूट रहे हैं। बहरहाल वर्तमान सरकार ने भी काफी प्रयास किए कि हिमुडा इस गर्त से बाहर निकल आए मगर यह प्रयास फलीभूत नहीं हो सके हैं।