- एक्साइज के नए विंग का मामला अटका
- वित्त विभाग फिलहाल मंजूरी देने को तैयार नहीं
- इस केबिनेट में नहीं जा सकेगा मामला
- 424 नए पदों पर फंसा है पेंच
विशेष संवाददाता। शिमला
राज्य कर एवं आबकारी विभाग के अलग विंग को लेकर मामला अटक गया है। सूत्रों के अनुसार इस मामले पर वित्त विभाग की मंजूरी नहीं मिल पाई है। वित्त विभाग इसपर अभी चर्चा करेगा जिसके बाद ही मामला आगे बढ़ेगा। बताया जाता है कि राज्य कर एवं आबकारी विभाग नए विंग के लिए 424 पद मांग रहा है और वित्त विभाग को यह आपत्ति है कि यह काफी ज्यादा पद हैं। इससे वित्तिय भार काफी ज्यादा हो जाएगा।
उम्मीद की जा रही थी कि वीरवार को होने वाली केबिनेट की बैठक में इसपर फैसला होगा लेकिन अब बताया जा रहा है कि फिलहाल इसे एजैंडा में शामिल नहीं किया जा रहा है। अब विभाग की ओर से केबिनेट में अलग प्रस्ताव पर इसे लेकर चर्चा बाद में की जाएगी। इससे पहले वित्त विभाग से भी इस मसले पर चर्चा चलती रहेगी मगर फिलहाल फाइल को लौटा दिया गया है।
प्रस्ताव ये है कि कर एवं आबकारी दोनों को अलग कर दिया जाए। हालांकि विभाग एक ही रहेगा मगर विंग अलग-अलग कर दिए जाएंगे। इसमें नए कर्मचारियों की भर्ती करना फिर जरूरी हो जाएगा। ऐसे में 424 विभिन्न श्रेणियों के पद भरने की मांग की जा रही है। यहां पर जीएसटी की कलेक्शन को 100 फीसदी तक करने के लिए जरूरी भी है कि अलग से कर्मचारी इस काम में लगाए जाएं। क्योंकि अब केन्द्र सरकार ने मुआवजा भी बंद कर दिया है इसलिए अब पूरी जीएसटी कलेक्शन करनी ही होगी तभी राज्य को उसका पूरा हिस्सा मिल सकेगा। हालांकि वर्तमान में भी जीएसटी जुटाए जाने को लेकर विभाग पूरी कोशिश कर रहा है जिसके रिजल्ट भी अच्छे दिख रहे हैं। मगर सौ प्रतिशत काम के लिए नया विंग खड़ा करना जरूरी है परंतु अभी तक वित्त विभाग इसपर तैयार नहीं हो रहा है। बताया जाता है कि इस मामले को मुख्यमंत्री के स्तर पर चर्चा के बाद अब आगे भेजा जाएगा।
हालांकि सरकार भी राजी है परंतु वित्तीय बोझ किस तरह से वहन किया जा सकेगा इसे लेकर अभी पेंच फंसा हुआ है। ऐसे में इस केबिनेट की बैठक में मसौदा नहीं जा पाएगा। विभाग के प्रधान सचिव सुभासीष पंडा का कहना है कि मामला वित्त विभाग को भेजा गया था जिसपर अभी विचार चल रहा है। क्योंकि आने वाले दिनों के लिए यह जरूरी है कि कर्मचारियों को विशेष जिम्मेदारी सौंपी जाए और करों की उगाही में तेजी के साथ काम किया जाए। जल्दी ही मामले पर फैसला ले लिया जाएगा।